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world of birds,आइए चले पक्षियों की दुनिया में

Newsdesk Uttranews
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Come to the world of birds, know about some birds of Himalayan region and their behavior

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पक्षी हमेशा से ही प्रकृति की सबसे सुन्दर कृतियों में से एक रहे हैं।पक्षियों का संसार रोचकताओं से भरपूर है।पंखों और शरीर की विशेष बनावट, जो इन्हें उड़ने में सहायक होते हैं ने इन्हें प्राणी जगत का सबसे विविध वर्ग बनाया है।

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इनकी विविधता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि विश्व भर में पक्षियों की 10000  से भी ज्यादा प्रजातियां पायी जाती हैं।  भारतीय उपमहाद्वीप में दुनिया की  लगभग 13% (1300) पक्षी प्रजातियां पायी जाती है।  भारत का हिमालयी क्षेत्र, जिसे इंडियन हिमालयन रीजन (IHR) के नाम से भी जाना जाता है, विश्वभर के 36 बायोडायवर्सिटी हॉटस्पॉट्स में से एक है, जो कि विश्व के लगभग 9 % से ज्यादा तथा भारतीय उपमहाद्वीप के लगभग 80% पक्षियों का वास स्थल है।

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भारतीय हिमालयी क्षेत्र के कुछ अलौकिक पक्षियों में शामिल हैं: हिमालयन मोनाल, वेस्टर्न ट्रैगोपान, ब्लड फेसेन्ट, बघून लियोचिचिला, चीर फेसेन्ट, आदि।  इस क्षेत्र में पाए जाने वाले कुछ पक्षियों , उनका प्रकृति के साथ आचरण तथा उनके व्यवहार के बारे में कुछ जानकारियां यहाँ साझा की जा रही है।

चेस्टनट बैलीड नटहैच (Chestnut bellied Nuthatch)

यह चिड़िया पक्षियों के एक ऐसे वर्ग से सम्बन्ध रखती हैं, जो कि सामान्यतः वृक्ष के तने और डालियों में, ऊपर से नीचे की तरफ, भोजन की तलाश में विचरण करती हुई देखी जाती है।

इस पक्षी की इसी विषेशता के कारण इसे अंग्रेजी भाषा में  “upside – down bird”भी कहा जाता है । नट, बांज के पेड़ के बीज, कीट-पतंगे, आदि इस पक्षी का मुख्य आहार है जिसे यह पेड़ों की चल के भीतर से निकालकर खाते हैं।

इस पक्षी की चौंच की संरचना इस प्रकार की नहीं होती, के ये सीधे ही बीज को तोड़ कर खा सके। इसीलिए इन्हें बीज तथा अन्य कीट खाने की एक विशेष कला प्रदान की गयी है, जिसमें ये अपने भोजन को पेड़ की छाल के नीचे दबा कर, उसकी मदद से, कीट या बीज को तोड़ते हैं, और फिर उसे खाते है।

सामान्यतः ये अपना भोजन को या तो उसी समय खा लेते हैं , या फिर पेड़ की छाल के नीचे या पेड़ के तने में बने दर्रों में छुपाती है, ताकि बाद में खा सके। और यह आश्चर्य जनक तथ्य है के ये 30 दिन पहले छुपाया हुआ भोजन भी याद रख सकती हैं। इस पक्षी का निवास हिमालय में है तथा इसे साल भर देखा जा सकता है।      

Chestnut bellied Nuthatch
चेस्टनट बैलीड नटहैच (Chestnut bellied Nuthatch)
चेस्टनट बैलीड नटहैच (Chestnut bellied Nuthatch)

हिमालयन फ्लेमबैक वुडपेकर (Himalayan Flameback Woodpecker)

यह कठफोडए की एक प्रजाति है जो की हिमालयी क्षेत्रों में पायी जाती है। हालाँकि इस पक्षी को जो संकट हैं उनके बारे में कोई ख़ास जानकारी उपलब्ध नहीं है, परन्तु यह अनुमान है के वनों के कटने से इसे भारी नुकसान हो सकता है। यह पक्षी अपनी जाती के अन्य पक्षियों की तरह ही कीड़ों को भोजन के रूप में लेता होगा ऐसा अनुमान है। पक्षी जगत के इस अद्भुत पक्षी के बारे में बहुत ही कम जानकारी उपलब्ध है, जो शोधकर्ताओं को इस पक्षी पर गहन शोध करने का एक अवसर भी प्रदान करती है। इस पक्षी का निवास हिमालय में है तथा इसे साल भर देखा जा सकता है।      

हिमालयन फ्लेमबैक वुडपेकर (Himalayan Flameback Woodpecker)
हिमालयन फ्लेमबैक वुडपेकर (Himalayan Flameback Woodpecker)

लॉन्ग टेल्ड ब्रॉड बिल (Long tailed Broadbill)

यह एक बहुत ही सुन्दर और मनमोहक पक्षी है, जो ज्यादातर चौड़ीपत्ती वाले वृक्षों के जंगलों में देखने को मिलता है। अपनी चौड़ी चौंच तथा लम्बी पूँछ के फलस्वरूप इस पक्षी को यह नाम दिया गया है।

  इस पक्षी का मुख्य भोजन कीड़े हैं। इस पक्षी के सर पर जो  काले रंग का टोपीनुमा आकर है, उसे देखने पर ऐसा प्रतीत होता है मानो उसने अपने सर को बचाने के लिए हेलमेट का सहारा लिया हुआ है।

लॉन्ग टेल्ड ब्रॉड बिल (Long tailed Broadbill)
लॉन्ग टेल्ड ब्रॉड बिल (Long tailed Broadbill)

इसका रंग हरा होता है, मुँह पीला, नीली पूँछ तथा सर पर काला रंग का हेलमेटनुमा कवच होता है। इस पक्षी को हिमालय की तलहटी में स्थित चौड़ीपत्ती वाले जंगलों में देखा जा सकता है। पेड़ की डाली पर जब यह पक्षी बैठा होता है तो निरंतर अपनी लम्बी पूँछ को हिलता हुआ दिखता है। इस पक्षी का निवास हिमालय में है तथा इसे साल भर देखा जा सकता है।           

एशियाई कोयल (Asian Koel)

यह Cuckoo प्रजाति का एक बड़ा पक्षी है, जिसे उसकी मधुर आवाज के लिए जाना जाता है। कोयल की इसी मधुर आवाज से प्रेरित होकर कई गीत भी लिखे गए हैं।

एशियाई कोयल (Asian Koel)
एशियाई कोयल (Asian Koel)

यह कोयल मुख्यतः भारत तथा भारत की पूर्वी दिशा की ओर स्थित कुछ भागों में पायी जाती है। इसका मुख्य भोजन फल हैं , कभी कभार यह लार्वा तथा कैटरपिलर को भी भोजन के रूप में लेती हैं। कोयल अन्य कुछ Cuckoo प्रजाति के पक्षियों की तरह अपना घोंसला खुद नहीं बनती, अपितु अन्य पक्षियों के घोंसले में अपना अंडा देती हैं।

बसंत ऋतू के आगमन होते ही कोयल की मधुर आवाज सुनी जा सकती है। क्यूंकि कोयल का मुख्य आहार फल हैं जो बसंत ऋतू में लगने शुरू होते हैं, इसीलिए कोयल को देखने की सबसे ज्यादा संभावना इसी ऋतू में है। इस पक्षी का निवास हिमालय में है।

रेड बिल्ड ब्लू मैगपाई (Red-billed Blue Magpie)

यह पक्षी हिमालय क्षेत्र के सबसे सामान्यतः दिखने वाले पक्षियों में से एक है, जिसे साल भर देखा जा सकता है। इसकी लम्बी पूँछ के कारण इसे उत्तराखंड राज्य की पहाड़ी भाषा में लमपूछड़ी (लम्बी पूँछ वाला) नाम से भी जाना जाता है।

रेड बिल्ड ब्लू मैगपाई (Red-billed Blue Magpie)

रेड बिल्ड ब्लू मैगपाई (Red-billed Blue Magpie)

यह पक्षी मुख्यतः फलों  को भोजन के रूप में लेता है, परन्तु कभी कभार इसे कीड़ो (बीटल) को कहते हुए भी देखा जा सकता है। इस पक्षी की सुंदरता का श्रेय इसकी पूँछ को दिया जा सकता है, जो कि इसे दिखने में सुन्दर तथा मनोहारी बनाता है।

इंडियन पैराडाइस फ्लाई कैचर (Indian Paradise Flycatcher)

यह एक माध्यम आकर का पक्षी होता है जिसकी पूँछ रिबन की तरह लम्बी होती है। यह भारतीय उपमहाद्वीप तथा एशिया महाद्वीप का पक्षी है। 

इंडियन पैराडाइस फ्लाई कैचर (Indian Paradise Flycatcher

रिबन जैसी लम्बी पूँछ सिर्फ नर पक्षी मैं पायी जाती है, मादा पक्षी की पूँछ छोटी होती है।  नर दो प्रकार के होते हैं , एक सफ़ेद शरीर वाला और दूसरा लाल-से-भूरे रंग के शरीर वाला होता है।  यह पक्षी कीट-पतंगों को भोजन के रूप में पसंद करता है , जिन्हे ये हवा में उड़ते हुए पकड़ कर खाता है।  प्रजनन काल (ग्रीष्म ऋतू) में यह पक्षी भारत के दक्षिण तथा दक्षिण पश्चिमी क्षेत्रों से हिमालयी क्षेत्र में प्रवास करता है।

ग्रेट बारबेट (Great Barbet)

यह पक्षी भारत तथा दक्षिण-पूर्वी एशिया में पाया जाता है, तथा इसे साल भर देखा जा सकता है। इस पक्षी को भारत में हरियल नाम से भी जाना जाता है।

ग्रेट बारबेट (Great Barbet)
ग्रेट बारबेट (Great Barbet)

यह पक्षी अपना घोंसला पेड़ों के तने में बने औटरो में बनता है, जिनमें से कई कठफोडए के छोड़े हुए घोंसले भी होते हैं। इसका मुख्या आहार फल हैं। फलों के अलावा यह सेमल (silk cotton tree) के पेड़ के फूलों के रस तथा उनकी पंखुड़ी को भी भोजन के रूप में लेना पसंद करता है। यह बारबेट प्रजाति का सबसे बड़ा पक्षी हैं, और तभी इसका नाम ग्रेट बारबेट रखा गया है।

रुफस वुडपेकर (Rufous Woodpecker)

यह कढ़फोड़ए की प्रजाति के कई पक्षियों में से एक है , जो के भूरे-लाल रंग का होता है।  यह पक्षी भारत तथा उससे लगे हुए दक्षिण पूर्वी देशों में पाया जाता है।  यह पक्षी सामान्यतः चीटियों तथा दीमकों को आहार रूप में लेता है। इसे केले के पेड़ के तने से निकलने वाले रस को पीते हुए भी देखा जा सकता है। 

Rufous Woodpecker

Rufous Woodpecker

यह सामान्यतः जोड़े में दिखाई देते हैं, लेकिन इन्हें ७-८ के समूह में विचरण करते हुए भी देखा जा सकता है।  इस प्रजाति के नर तथा मादा देखने में एक सामान प्रतीत होते हैं, हालाँकि गौर से देखने पर इनकी आँख के नीचे स्थित लाल रंग के एक निशान (जो की नर में दीखता है ) से पहचाना जा सकता है। यह समुद्र ताल से 1800 मी० की ऊंचाई तक में पाए जाने वाले वनों में देखे जा सकते हैं।    

कॉमन कुकु (Common Cuckoo)

यह cuckoo प्रजाति का एक अन्य पक्षी है जो ग्रीष्म ऋतू में हिमालयी क्षेत्रों में दिखाई देता है। इसी पक्षी की मधुर आवाज “कुक-कू”के नाम पर ही इस जाती के सभी पक्षियों के समूह का नाम cuckoo रखा गया। 

Common Cuckoo
Common Cuckoo

यह एक प्रवासी पक्षी है जो भोजन तथा प्रजनन के लिए ग्रीष्म ऋतु में बहुत लम्बी दूरी तय कर के अफ्रीकी महाद्वीप से  हिमालय तथा मंगोलिया की तरफ आता है, तथा यहाँ प्रवास करता है। इसे हिमालयी क्षेत्र में समुद्र ताल से 3800 मी० तक की ऊंचाई पर स्थित संकुधारी तथा पतझड़ वाले वनों में देखा जा सकता है। इसका मुख्य भोजन कीड़े (मुख्यतः कैटरपिलर) हैं तथा यह छोटे पक्षियों के अण्डों का भी शिकार करता है।

ग्रेट हार्नबिल (Great Hornbill)

यह एक बड़े आकार का पक्षी है जो की हिमालय तथा पश्चिमी घाट क्षेत्र में पाया जाता है, तथा इसे साल भर देखा जा सकता है। अपने बड़े, भव्य आकर, तथा सुन्दर रंग के कारण इन्हें कई जनजातीय संस्कृतियों तथा रिवाजों में कुछ ना कुछ विशेष स्थान मिला हुआ है।

Great Hornbill
Great Hornbill

इसकी तथा इसकी जाति की अन्य प्रजातियों की चौंच की विशेष संरचना जो की सींग की तरह होती है, के कारण इनका नाम हार्नबिल पड़ा।  ग्रेट हार्नबिल एक संकटग्रस्त (Vulnerable category of IUCN) प्रजाति है जो कि आवास कि हानि के चलते संकट में है।  इसका मुख्या आहार फल हैं , जिनके बीजों का विस्तारण भी इन्ही के द्वारा किया जाता है।  तभी  इसे कई जंगलों का माली भी कहा जाता है।

इस आलेख के लेखक रवि पाठक, वानिकी विषय के शोध छात्र हैं। अपने स्नातकोत्तर के दिनों से इन्हें पक्षियों के प्रति प्रेम तथा उन्हें जानने में रूचि आने लगी।

Ravi Pathak
Ravi Pathak

तभी से वो बर्ड वाचिंग तथा पक्षी पहचान को एक शौक के रूप में अनुसरित कर रहे हैं। रवि, गो० ब० पंत राष्ट्रीय पर्यावरण संस्थान, कोसी-कटारमल, अल्मोड़ा के पक्षियों की विविधता पर एक पुस्तक के सह-लेखक भी है। 

अधिक जानकारी के लिए आप इन्हे मोबाइल नंबर 9410121296 , फेसबुक पेज https://www.facebook.com/Natures-Best-431674153923077 और मेल आईडी com       पर भी संपर्क कर सकते है।