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‘लाइकेन’ की उपयोगिता पर हुई चर्चा, बन सकता है स्वरोजगार का अच्छा माध्यम

Newsdesk Uttranews
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नैनीताल। नेशनल मिशन ऑन हिमालयन स्टडीज, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार, उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा प्रायोजित एवं कुमाऊं विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित तीन दिवसीय लाइकेन कार्यशाला जारी है। कार्यशाला के तीसरे दिन समापन समारोह् के मुख्य अतिथि गोविन्द बल्लभ् पन्त राष्ट्रीय पर्यावरण संस्थान अल्मोडा के निदेशक डॉ रणवीर एस रावल ने कहा कि जैव विविधता के मुख्य भाग लाइकेन के संरक्षण हेतु बेहतर कार्य योजना बनाना आवश्यक है। उन्होने कहा सामुदायिक विकास हेतु लाइकेन मे रोजगार की असीम संभावना है. शोध को नीति निरधारण तक ले जाना जरुरी है जिससे जैव विविधता के साथ् साथ् पर्यावरण संतुलन मे हमारी भूमिका संतुलित हो सके।

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विभाग प्रमुख् प्रो वीना पाण्डे ने सभी का स्वागत किया। संयोजक डॉ संतोष उपाध्याय ने कार्यक्रम की रिपोर्ट प्रस्तुत की। कार्यक्रम को डॉ योगेश जोशी, डॉ राजेश बाजपेई, डॉ सुनीति कुरियल्, डॉ सुनिल कुमार, डॉ ममता ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो ललित तिवारी ने किया।

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कार्यशाला के दौरान प्रशन्नोतारी प्रतियोगिता मे डॉ विनय कुमार, डॉ रिषेन्द्र कुमार, डॉ ममता विजयी रहे .डॉ सुनीति कुरियाल को श्रेष्ठ प्रतिभागी का पुरस्कार मिला। कार्यक्रम मे डॉ रावल ने सभी को पुरष्कृत तथा प्रमाण पत्र का वितरण किया। कार्यक्रम मे डॉ रणवीर रावल को शाल उडाकर एवं रेनिन्कुलुस का पोधा देकर सम्मानित किया गया। डॉ ललित तिवारी ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।

इस अवसर पर डॉ तीरथ कुमार , डॉ गीता तिवारी, डॉ पेन्नि जोशी, डॉ मयन्क पाण्डेय, आशुतोष पालीवाल, अन्किता, अमृता, हिमानी, गरिमा सहित 20 प्रतिभागी एवं शोध् प्रतिभागी उपस्थित रहे। सुबह् तकनीकी सत्र मे लाइकेन विशेषज्ञों डॉ. योगेश जोशी, उदयपुर, डॉ. राजेश बाजपेई, लखनऊ द्वारा लाइकेन के चिकत्सिकिय उपयोग के बारे मे व्याख्यान दिया। आज अन्किता, अमृता, हिमानी के नेतृत्व मे लाइकेन के डी. एन. ए निकालने एवं उसके विस्तारीकरण से सम्बंधित पोलीमरेज़ चैन रिएक्शन (पी. सी. आर.) तकनीक का प्रायोगिक प्रशिक्षण प्रशिक्षुयों को दिया। डॉ जोशी ने लाइकेन शोध् से संबन्धित वेब् संसधनो के बारे मे विस्तृत जानकारी दी।