राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन की दो दिवसीय परियोजना निगरानी एवं मूल्यांकन कार्यशाला संपन्न

देहरादून। भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून में राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन की दो दिवसीय छठी परियोजना निगरानी एवं मूल्यांकन कार्यशाला संपन्न हुई। कार्यशाला का उद्घाटन पर्यावरण…

देहरादून। भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून में राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन की दो दिवसीय छठी परियोजना निगरानी एवं मूल्यांकन कार्यशाला संपन्न हुई। कार्यशाला का उद्घाटन पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की संयुक्त सचिव नमीता प्रसाद द्वारा किया गया। इस कार्यशाला से लौटे एनएमएचएस नोडल अधिकारी इं० किरीट कुमार ने बताया कि मंत्रालय के माउंटेन डिविजन के निदेशक आरके कोडाली, विशेष अतिथि व वन्यजीव संस्थान के निदेशक डॉ एस० पी० यादव और वाडिया संस्थान देहरादून के निदेशक डॉ कलाचंद सेन यहां विशिष्ठ अतिथि थे। इस सघन कार्यशाला में हिमालयी राज्यों में संचालित विभिन्न दो दर्जन से अधिक संस्थानों द्वारा संचालित अनुसंधान परियोजनाओं की वार्षिक और अंतिम प्रगति का मूल्यांकन किया गया।

कार्यशाला के शुभारंभ में नोडल अधिकारी इं० किरीट कुमार ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन की प्रगति यात्रा का व्यौरा प्रस्तुत किया और बताया कि 11 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में किस व्यापकता से हिमालयी समाज की आवश्यकताओं के अनुरूप परियोजना अनुसंधानों के माध्यम से कार्य किया जा रहा है। इस अवसर पर संयुक्त सचिव सुश्री नमीता प्रसाद ने कहा कि राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन हिमालयी आवश्यकताओं को भली भाँति प्रतिबिंबित कर रहा है।

हिमालयी संवेदनशील भूगोल और प्राकृतिक चुनौतियों को यहां एक मंच पर गंभीर रूप से चिंता कर उनके सतत् समाधानों की दिशा में कार्य किया जा रहा है। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में आँकड़ों के प्रबंधन और गुणवत्तापूर्ण संग्रहण का सुझाव दिया और कहा कि अनुसंधानों में नीतिगत सुझाव देकर हम अनुसंधानों का लाभ अखिल हिमालयी क्षेत्र को दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि हर परियोजना संचालक को अपने राष्ट्रीय दायित्वों को देखते हुए वृहद दृष्टिकोण से काम करना होगा। उन्होंने मिशन के संपूर्ण कार्यप्रणाली को सराहनीय बताया और कहा कि समग्रता में हम हिमालयी चिंताओं को संबोधित कर रहे हैं।

वन्यजीव संस्थान के निदेशक डॉ एस० पी० यादव ने अनुसंधान कार्यों के लिए मिशन के माध्यम से मिलने वाले मार्गदर्शन और अनुदान को संस्थानों के लिए बड़ी मदद बताया और कहा कि मिशन हिमालयी अनुसंधान संस्थाओं को सुदृढ़ कर रहा है। इस अवसर पर विशिष्ठ अतिथि वाडिया संस्थान के डॉ कलाचंद सेन व विशेष अतिथि श्री आर0 के0 कोडाली एवं ने हिमालयी आपदाओं के शमन की दिशा में अनुसंधानों को बढ़ावा देने पर जोर दिया और कहा कि आज हिमालयी राज्यों में संवेदनशील भागों में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों ने हमारी जिम्मेदारी और बढ़ा दी है।

प्रथम दिन सैक-इसरो अहमदाबाद के प्रो० आई०एम० बहुगुणा की अध्यक्षता में चले इन सत्रों में आईआईटी नई दिल्ली के डॉ मनोज, एम. आदि विशेषज्ञों ने परियोजनाओं का मूल्यांकन कर आवश्यक सुझाव दिए। जिसमें एनआईएच जम्मू के डॉ एस०एस० रावत, टेरी नई दिल्ली के डॉ० वी०एस०पी० सिन्हा, सीएसआईआर बैग्लूरू के डॉ० के० सी० गौड़ा, एनआईएच रूड़की के डॉ संजय कुमार जैन, डॉ पी०जी० जोशी, सीआरआरआई के शिक्षा स्वरूपा कर और डॉ एस० पदमा, एईईई नई दिल्ली के डॉ भाष्कर, एमआईटी विश्वविद्यालय यूपी की डॉ विर्तिका सिंह, आईआईटी रूड़की के डॉ सुरेंद्र कुमार मिश्रा, जीबीपत संस्थान अल्मोड़ा की डॉ. वसुधा अग्निहोत्री, रामलाल कालेज दिल्ली की डॉ० सीमा गुप्ता ने अपनी परियोजनाओं की प्रस्तुति दी।

द्वितीय दिवस वरिष्ठ वैज्ञानिक आईआईआईटी हैदराबाद के डॉ. दूरी नागराजा की अध्यक्षता में निगरानी व मूल्यांकन (एमएलई) विशेषज्ञों ने आईएचबीटी हिमाचल प्रदेश के डॉ अशोक सिंह, शुलूनी विश्वविद्यालय हिमाचलप्रदेश की डॉ रचना वर्मा, एफआरआई देहरादून के डॉ मनोज कुमार आईएचबीटी हिमाचलप्रदेश के डॉ० संजय कुमार, पंतनगर विश्वविद्यालय के डॉ0 एस0के0 मिश्रा, आईआईआरएस देहरादून के डॉ हितेंद्र पड़लिया, पंतनगर विश्वविद्यालय के डॉ० अजय वीर सिंह तथा एफआरआई देहरादून के डॉ राजीव पाण्डे द्वारा संचालित परियोजनाओं की प्रगति का मूल्यांकन किया।

एनएमएचएस की ओर से परियोजना अनुसंधान प्रगति पर आधारित एक पुस्तक का भी इस अवसर पर विमोचन भी अतिथियों द्वारा किया गया। डीएफओ मसूरी आशुतोष सिंह व डीएफओ राजाजी पार्क, कहकशा नसीम ने रिस्पना और चौरासीकुटिया क्षेत्र में एनएमएचएस परियोजना के तहत चल रहे कार्यों के बारे में संयुक्त सचिव को अवगत कराया। कार्यक्रम में परियोजना वैज्ञानिक डॉ सैयद रहुल्ला अली ने कार्यक्रम संचालिन किया तथा आशीष जोशी, जगदीश चंद्र पाण्डे, निधि सिंह, दिनेश राणा, कु० शबनम कुमारी कुछ इरीना दास, रितेश गौतम आदि ने सहयोग किया।