क्यों अमेठी सीट मानी जाती है वीआईपी,गांधी परिवार का अमेठी सीट से यह है नाता

साल 1967 में अस्तित्व में आई अमेठी लोकसभा सीट कांग्रेस के दिग्गज राजनेताओं की कर्म भूमि मानी जाती है इस सीट से संजय गांधी, राजीव…

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साल 1967 में अस्तित्व में आई अमेठी लोकसभा सीट कांग्रेस के दिग्गज राजनेताओं की कर्म भूमि मानी जाती है इस सीट से संजय गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी जैसे नेताओं ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरूआत की थी। अमेठी लोक सभा सीट में पांच विधानसभा क्षेत्र आते है। इस सीट में तिलोई,सलोन,जगदीशपुर,गौरीगंज और अमेठी विधानसभा सीट आती है। अमेठी उत्तर में बारा बांकी और फैजाबाद,पश्चिम में रायबरेली, पूर्व में सुल्तानपुर और दक्षिण में प्रतापगढ़ से लगता है।


1967 में इस सीट पर पहली बार चुनाव हुए और कांग्रेस के विद्याधर बाजपेयी को इस सीट से पहला सांसद
बनने का मौका लिया। वह 1971 में हुए लोकसभा चुनाव में फिर से चुनाव जीते। आपातकाल के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से संजय गांधी चुनावी मैदान में थे। आपातकाल के कारण लोगों में कांग्रेस के खिलाफ गुस्सा था और इस चुनाव में जनता पार्टी के रविंद्र प्रताप सिंह ने संजय गाधी को हराकर जीत हासिल की। 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में संजय गांधी ने रविंद्र प्रताप सिंह को हराकर अपनी हार का बदला ले लिया। अमेठी सीट पर गांधी परिवार की यह पहली जीत थी।


आपको बता दें अमेठी की इस सीट को संजय गांधी की राजनीतिक ज़मीन माना जाता है। 3 जून 1980 की सुबह एरोबेटिक युद्धाभ्यास करते समय संजय गांधी का हवाई जहाज दुर्घटनाग्रस्त हो गया और इस विमान दुर्घटना मेंं संजय गांधी की मौत हो गई।


संजय गांधी की हत्या के बाद उनके छोटे भाई राजीव गांधी ने अपना राजनीतिक कैरियर शुरू किया। 4 मई 1981 को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में इंदिरा गांधी ने उनका नाम अमेठी सीट के लिए प्रस्तावित किया और कांग्रेस के सभी सदस्यों ने इसका अनुमोदन कर दिया। इस सीट पर हुए उपचुनाव में राजीव गांधी जीतकर संसद में पहुंचे और फिर 1984,1989 में वह लगातार इसी सीट से जीतकर सांसद बने। 1991 के आम चुनाव से पहले लिट्टे के आंतकियों ने राजीव गांधी की हत्या कर दी। 1991 के चुनाव में कांग्रेस परिवार के करीबी सतीश शर्मा पर कांग्रेस ने विश्वास जताया और वह यहां से सांसद बने। साल 1996 के चुनाव में भी सतीश शर्मा कांग्रेस के इस विश्वास पर फिर खरे उतरे जब उन्होंने 40 हजार वोटों से ये अमेठी सीट जीत ली। हालांकि इसके बाद साल 1998 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के संजय सिंह ने सतीश शर्मा को 23 हजार के अंतर से हरा दिया।


इसके अगले साल देश में एक बार फिर आम चुनाव हुए इस बार कांग्रेस से खुद सोनिया गांधी पार्टी अध्यक्ष के तौर पर मैदान में उतरी और साल 1999 में सोनिया गांधी ने एक बार फिर इस सीट पर गांधी परिवार का परचम लहराया।


बात करें राहुल गांधी की तो इनके भी चुनावी सफर की शुरूवात इसी सीट से हुई थी। राहुल गांधी ने साल 2004 में इसी अमेठी सीट से चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें जीत मिली और साल 2009 के आम चुनाव तक उन्होंने इस सीट पर गांधी परिवार का दबदबा कायम रखा।
अब साल 2014 में देश में मोदी की लहर चली लेकिन फिर भी गांधी परिवार अपने गढ़ को बचाने में कामयाब रहा। इस बार कांग्रेस की जीत का अंतर काफी था लेकिन साल 2019 के लोकसभा चुनाव में गांधी परिवार कांग्रेस की गढ़ मानी जाने वाली अमेठी सीट को नहीं बचा पाया और इस चुनाव में स्मृति ईरानी राहुल गांधी को हराकर चुनाव जीत गई और कांग्रेस को अपना गढ़ मानी जाने वाली इस से हाथ धोना पड़ा।