मां बाप ने हरिद्वार जाने की जताई इच्छा तो बेटे बन गए श्रवण कुमार, कांवड़ में माता पिता को रख चल दिए यात्रा पर, बना आकर्षण का केंद्र

इस समाज में आज भी कई श्रवण कुमार है जो अपने मां-बाप की इच्छा पूरी करने के लिए जान लगा देते हैं। जिसमें हरियाणा के…

When the parents expressed their desire to go to Haridwar, the son became Shravan Kumar, kept his parents in the Kanwad and went on the journey, becoming the center of attraction

इस समाज में आज भी कई श्रवण कुमार है जो अपने मां-बाप की इच्छा पूरी करने के लिए जान लगा देते हैं। जिसमें हरियाणा के भिवानी जिले के धाणीमऊ गांव के बृजमोहन एवं राजबाला के तीन बेटे जो श्रवण कुमार से कम नहीं है।

उनके मां बाप ने कभी हरिद्वार नहीं देखा था। जिस पर उन्होंने अपने बेटों से कहा कि उन्हें हरिद्वार जाने की इच्छा है। फिर क्या तीनों बेटों ने कामकाज छोड़ा और माता-पिता की कांवड़ ही उठा ली।

बेटे श्रवण बनकर माता-पिता को लेकर हरिद्वार पहुंचे और गंगा स्नान कराकर उनको कांवड़ में बैठाकर गांव की ओर बढ़ रहे हैं। तीन दिन में हरिद्वार से रुड़की बाइपास पर पहुंच गए हैं। वहीं, हाईवे से गुजर रहे लोग बेटों के इस कदम की लोग खूब तारीफ कर रहे हैं।

बता दें कि कांवड़ के एक पलड़े में एक महिला तो दूसरे में एक पुरुष बैठे हुए थे। सभी के लिए यह आकर्षण का केंद्र बना हुआ था। रास्ते में सुस्ताने के लिए रुके तो हर कोई हैरान था कि इतनी उमस भरी गर्मी के बीच दो युवक कांवड़ उठाकर आगे बढ़ रहे हैं। पूछने पर पता चला कि यह हरियाणा के भिवानी जिले के धाणीमऊ गांव निवासी ब्रजमोहन एवं राजबाला है।

बृजमोहन ने बताया कि एक दिन ऐसे ही उन्होंने अपने बेटे शिवम को बताया कि कभी हरिद्वार देखा नहीं है। जाने की बड़ी इच्छा है। पता नहीं इस जन्म में पूरी हो पाएगी, या मरने के बाद अस्थियां ही हरिद्वार जा पाएगी। यह सुनकर बेटा शिवम भावुक हो गया। शिवम ने अपने भाइयों दिनेश एवं अशोक से बात की और तय किया कि मां-पिता को हरिद्वार लेकर जाएंगे। गंगा स्नान कराएंगे और उनकी कांवड़ लेकर आएंगे।

शिवम ने बताया कि माता-पिता ने इन्कार भी किया और कहा कि बहुत कठिन कार्य है। गर्मी बहुत है दूर का सफर है। लेकिन, बेटे नहीं माने। तीन दिन पहले गुरुवार को हरिद्वार से स्नान कर वह गांव के लिए चले हैं।
शिवम ने बताया कि उनके लिए उनके मां-बाप भी भगवान से कम नहीं है। भगवान तो ऊपर हैं। लेकिन, पृथ्वी पर माता-पिता ही साक्षात भगवान है। शिवम ने बताया कि उनका परिवार खेतीबाड़ी करता है। वहीं, उनके साथ मामा और उनके बेटे भी कांवड़ लेने के लिए आए हुए है। सभी एक साथ अपने गंतव्य के लिए आगे बढ़ रहे हैं।