केरल के वायनाड में आए भारी भूस्खलन से भरी तबाही हुई है। इस हादसे में अब तक 300 के करीब लोगों की मौत की मौत हो चुकी है। वही हजारों लोग घायल हैं वही मलबे में दबे लोगों की तलाश की जा रही है।
इस हादसे में बाल-बाल बचे एक परिवार की कहानी काफी भावुक कर देना वाली है। कहानी सुजाता अनिनांचिरा और उनके परिवार की है। भूस्खलन हादसे के पीड़ित हैं। फिलहाल राहत शिविर में हैं। उन्होंने जब अपने बचने की कहानी बताई तो मानों ‘गणेश’ भगवान सक्षात आकर उनकी रक्षा की हों। मंगलवार के तड़के भूस्खलन में बचने की कहानी में उनके हिम्मत के अलावा 3 हाथियों का ऐसा योगदान जिसको जानकर आप भी भावुक हो उठेंगे।
सुजाता, अपने पति, बेटी और दो पोते-पोतियों के साथ चूरलमाला की वादियों का आनंद लेने पहुंची थी। उन्हें जरा भी नहीं लगा की आपदा उनका इंतजार कर रही है। सोमवार-मंगलवार को रात के समय गहरी नींद में परिवार के साथ सोई हुईं थी, तभी अचानक कुछ फटने की आवाज आई। बाहर निकलकर देखा तो चारों तरफ चीख पुकार मची हुई थी। उनके घर में, जहां वे सब ठहरी हुईं थीं, पहाड़ का मलबा घुसने लगा था। पहाड़ के मलबे को मात देती हुई सुजाता किसी तरह सुरक्षित पहाड़ी तक पहुंची, लेकिन यहां पहुंचते ही जो देखा उनकी आंखे फटी की फटी रह गई।
पहाड़ी पर दूसरा आफत
सुजाता अपने परिवार के संग भूस्खलन के मलबे से बचकर पहाड़ी पर पहुंचती तो वहां पर अंधेरा छाया हुआ था। उनको लगा कि पास में कोई विशालकाय चीज खड़ी है। देखा तो उनके पास तीन विशालकाय हाथी खड़े थे एक हाथी और दो हाथिनी खड़े थे। उन्हें लगा कि मौत तो अब तय है। सुजाता अपने पति, बेटी और पोते-पोतियों से लिपट कर भगवान से प्रर्थना करने लगी कि किसी तरह से उनको बचा ले।
सुजाता ने बताया कि हम बहुत डरे सहमे हुए थे। गुप्प अंधेरे में चारों तरफ से सिर्फ चीख-पुकार की आवाजें आ रही थीं और कभी भी जमीन धंसने का भी डर लग रहा था । लेकिन फिर अचानक हमारी जान बचाने के लिए हाथियों का एक समूह आ गया। पता नहीं कहां से तीन हाथी हमारे पास आकर खड़े हो गए और ये तीनों तब तक वहां खड़े रहे जब तक रोशनी नहीं हुई और हम सुरक्षित जगह तक नहीं पहुंच गए।
सुजाता कहती है कि इन हाथियों की रूप में साक्षात भगवान गणेश ने मेरी और मेरे परिवार की रक्षा की है। लैंडस्लाइड इतना डरावना था कि इसकी आवाज से क्या इंसान क्या जानवर हर कोई सहमा हुआ था। ऐसा लग रहा था मानों दुनिया ही खत्म हो जाएगी। लेकिन जब विपदा आती है तो उससे बचाने वाले भगवान भी किसी न किसी रूप में पहुंचकर अपनों को बचा लेते हैं।