सरकार ने लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक 2025 पेश किया, जिस पर बहस जारी है। यह विधेयक पहले अगस्त 2024 में पेश हुआ था, लेकिन देशभर में विरोध के चलते इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेज दिया गया। समिति में लंबी चर्चा के बाद एनडीए सांसदों के 14 संशोधनों को मंजूरी दी गई, जबकि विपक्ष के 44 संशोधनों को खारिज कर दिया गया। इसके बाद फरवरी 2025 में केंद्रीय कैबिनेट ने संशोधित विधेयक को स्वीकृति दी और अब इसे लोकसभा में रखा गया है।
नए विधेयक के तहत वक्फ बोर्ड को नया नाम दिया गया है, जिसे ‘उम्मीद’ कहा जाएगा। पहले कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति वक्फ में दे सकता था, लेकिन अब उसे साबित करना होगा कि वह पिछले पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहा है और उसकी संपत्ति पर कोई विवाद नहीं है। ‘वक्फ-अल-औलाद’ के तहत दी गई संपत्ति से प्राप्त आय में अब महिलाओं को भी उत्तराधिकारी माना जाएगा।
इस विधेयक में न्यायालयों को वक्फ से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए छह महीने की समय-सीमा दी गई है, हालांकि विशेष परिस्थितियों में यह बढ़ाई जा सकती है। वक्फ में दी गई जमीन का पूरा विवरण छह महीने के भीतर एक पोर्टल पर दर्ज करना अनिवार्य होगा। पहले बिना दस्तावेज के भी कोई संपत्ति वक्फ मानी जा सकती थी, लेकिन अब यह नियम केवल 2025 से पहले पंजीकृत संपत्तियों पर लागू होगा।
पहले वक्फ संपत्तियों की जांच का अधिकार जिला मजिस्ट्रेट के पास था, लेकिन अब यह अधिकार उनसे ऊंचे पद के अधिकारी को दिया जाएगा, जो अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेगा। वक्फ संपत्तियों और उनकी आय का पूरा विवरण ऑनलाइन उपलब्ध होगा, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी। वक्फ बोर्ड में अब दो मुस्लिम महिलाओं और दो गैर-मुस्लिम सदस्यों की अनिवार्य नियुक्ति का प्रावधान किया गया है।
केंद्र सरकार को वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण और प्रबंधन से जुड़े नियम बनाने का अधिकार दिया गया है। इसके अलावा, वक्फ बोर्ड को अपनी कार्यप्रणाली और आय-व्यय में सुधार के लिए छह महीने के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। मुतवल्ली पद के लिए भी नए नियम बनाए गए हैं, जिनमें अयोग्यता की स्पष्ट शर्तें शामिल हैं।
बोहरा और आगाखानी मुस्लिमों के लिए अलग वक्फ बोर्ड गठित किया जाएगा, जो पहले के कानून में शामिल नहीं था। इसके अलावा, वक्फ संपत्तियों पर कोई भी दावा बिना दस्तावेजों के मान्य नहीं होगा। मस्जिदों और कब्रिस्तानों के लिए भी स्पष्ट नियम बनाए गए हैं, जिससे भविष्य में विवादों को कम किया जा सके।