इंतहां हो गई इंतजार की- अल्मोड़ा में गुरिल्लों(gurrilla) के धरने को 4 हजार दिन पूरे

gurrilla

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Waited here – 4 thousand days for the sit-in of gurrilla in Almora

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अल्मोड़ा, 12सितंबर 2020- नियुक्ति , पैंशन व अन्य मांगों को जिलाधिकारी कार्यालय के प्रांगण में धरना दे रहे गुरिल्लों(gurrilla) के धरने को 4000 दिन पूरे हो गए हैं|

2009 को यह धरना शुरु हुआ था तब से दिन पर दिन बीतते रहे लेकिन गुरिल्लों की समस्या का निराकरण नहीं हुआ|

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धरने के 4 हजार दिन पूरे होने पर हुई सभा में संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष ब्रह्मानंद डालाकोटी ने कहा कि यह अजीब विडंबना है जब कश्मीर में गृह युद्ध की जैसी स्थित है चीन सीमाओं पर तनाव है नेपाल जैसा छोटा मित्र देश भी आंखें तरेर रहा है बांग्लादेश से बांग्लादेशी पूर्वोत्तर से रोहिंग्या लगातार घुसपैठ कर रहे हैं पंजाब सीमा से पाकिस्तान अवैध रूप से नशे का सामान भेज कर देश को तबाह कर रहा है |
ऐसी स्थिति में भी सरकार का ध्यान सीमावर्ती क्षेत्रों में समुचित निगरानी की व्यवस्था की करने ओर नहीं है उन्होंने कहा कि 1962 में भारत चीन युद्ध के बाद युद्ध के दौरान सेना को सीमाओं पर हुई दुश्वारियों को देखते हुए तत्कालीन सरकार ने बिश्व की अनेक सुरक्षा व्यवस्थाओं के अध्ययन के बाद सीमा पर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एसएसबी का गठन किया था जिसके अंदर का देश की सीमाओं से लगे सैकड़ों गांवों में रहने वाले युवक-युवतियों को छापामार युद्ध में दक्ष किया गया उन्हें सीमा पर निगरानी के लिए विशेष खुफिया कार्यों का भी प्रशिक्षण दिया गया था| वर्तमान में 1962 से भी अधिक जटिल स्थितियां हैं सीमा पर आज और अधिक निगरानी की आवश्यकता है ऐसे में सरकार देश की सुरक्षा के नाम पर अरबों खरबों के अस्त्र शस्त्र तो खरीद रही है पर मानव जनित इस सस्ती सुरक्षा व्यवस्था की उपेक्षा कर रही है यही नहीं सरकार ने एसएसबी की 9 मई 2011 को भेजी गई सिफारिशों को भी किनारे रख दिया है राज्य सरकारों ने अपने ही शासनादेशों पर अमल नहीं किया जब कि आंतरिक सुरक्षा में भी गुरिल्लों (gurrilla)का बेहतर उपयोग हो सकता है उन्होंने सरकार को चेतावनी दी की कोरोना काल के चलते अभी गुरिल्ला शांतिपूर्ण धरना दे रहे हैं जैसे ही स्थितियां सामान्य होंगी गुरिल्ला(gurrilla) पुनः आर पार की लड़ाई को तैयार हैं आज धरने में ब्रह्मानंद डालाकोटी, आनंदी मेहरा, शांति देवी, सरोजिनी, विजय प्रकाश जोशी, संजय बगड़वाल, प्रेम बल्लभ कांडपाल, बसंत सिंह, किशन सिंह, गोपाल राम, फनी राम, गोपाल सिंह राणा, बसंत लाल आदि बैठे ।

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