अल्मोड़ा में विकसित वीएल स्याही हल बना गुजरात के किसानों की पसंद

वीएल स्याही हल

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वीएल स्याही हल को परीक्षण के लिए मंगवाया गुजरात और जताई संतुष्टि

अल्मोड़ा, 06 अगस्त 2020— अल्मोड़ा में विकसित और परिवर्द्धित वीएल स्याही लौह हल गुजरात के किसानों की पसंद भी बन गया है.यहां के किसानों ने प्रयोग के तौर पर इसे इस्तेमाल कर संतुष्टि जताई है.

वीएल स्याही हल

पर्यावरण पेयजल और जैवविविधता को बचाने के उद्देश्य से अल्मोड़ा में विकसित वीएल स्याही हल गुजरात के किसानों की भी पसंद बन गया है। गुजरात के वल्साड जिला में 72 गांवों में काम कर रही संस्था “मिट्टीधन “के अध्यक्ष हीरेन पंचाल द्वारा वीएल स्याही हल के विषय में आलेख पढ़ने के बाद स्याहीदेवी विकास मंच के पूर्व संयोजक गजेंद्र कुमार पाठक से संपर्क किया और लगभग 4000 रूपये खर्च करने के बाद कूरियर के माध्यम से वीएल स्याही हल गुजरात मंगाया.

वीएल स्याही हल

पाठक ने बताया कि बीते दिनों गुजरात के किसानों द्वारा इस हल का परीक्षण किया गया और इसे लकडी़ के हल की तुलना में हल्का, मजबूत और सुविधाजनक बताया.

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उन्होंने कहा कि मिट्टीधन के अध्यक्ष हीरेन पंचाल के अनुसार “गुजरात के जिस क्षेत्र में उनकी संस्था कार्य कर रही है वहां के 72 गांवों के सीमांत किसानों द्वारा लकडी़ के ही हल का प्रयोग किया जाता है.लौह हल के परीक्षण से सभी किसान उत्साहित हैं इसके इस्तेमाल से जुताई आसान हो गई है.

बताते चलें कि विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा और स्याहीदेवी विकास मंच शीतलाखेत की सहभागिता से विकसित वीएल स्याही हल विकसित किया गया है. यह उत्तराखंड के कई स्थानों पर प्रयोग किया जाता है. पूर्व संयोजक गजेन्द्र पाठक ने बताया कि उत्तराखंड राज्य के 7 जिलों के 5000 से अधिक किसानों द्वारा प्रयोग मे लाया जा रहा है और हर साल हजारों की संख्या में बांज आदि महत्वपूर्ण पेड़ों को कटने से बचा रहा है.

कहा कि देश के पर्वतीय राज्यों के अलावा मध्यप्रदेश, बिहार, गुजरात आदि राज्यों के पठारी इलाकों में यह लौह हल की उपयोगी किसानों तथा पर्यावरण के लिए उपयोगी साबित हो सकता है.

वीएल स्याही हल

वीएल स्याही हल के गुजरात के किसानों की पसंद बनने पर विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा के निदेशक डा.लक्ष्मीकांत, पूर्व निदेशक डा. जेसी भट्ट, डा.बीएन पांडेय, डा.श्यामनाथ, स्याहीदेवी विकास मंच ,शिव सिंह खेतवाल,शीतलाखेत के संयोजक गिरीश शर्मा, गणेश पाठक, हरीश बिष्ट, कैलाश नाथ, रमेश भंडारी, ललित बिष्ट, पूरन सिंह, दिग्विजय सिंह बोरा, रवि परिहार, गोपाल सिंह, दिनेश पाठक आदि ने प्रसन्नता व्यक्त की है.

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