अल्मोड़ा, 05 मार्च 2021-
शीतलाखेत क्षेत्र के एक गांव के आरक्षित वन में लगी आग को ग्रामीणों ने सामूहिक प्रयासों से समय पर काबू पा लिया।माना जा रहा है कि तेज़ यानि ओड़ा या ओण जलाने में बरती गई लापरवाही से जंगल में आग लग गई थी।
क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता गजेन्द्र पाठक ने बताया कि “बीते दिवस शुक्रवार शाम को लगभग 7 बजे गैरोली,मटीला निवासी गोपाल सिंह का फोन आया कि आरक्षित वन क्षेत्र से सटे गांव आनंदनगर के सिविल वन क्षेत्र में लगी आग तेजी से आरक्षित वन क्षेत्र की ओर बढ़ रही है और यदि तुरंत कार्रवाई नहीं की गई तो जल स्त्रोतों और जैवविविधता से भरपूर जंगल के लिए खतरा पैदा हो जायेगा।
उन्होंने बताया कि तब तय किया कि जंगल को किसी भी तरह के नुकसान से बचाने के लिए सुबह का इंतजार करने की जगह अभी रात में ही आग बुझाने जाया जाय। इस बीच दोनों दो रैक लेकर शीतलाखेत से दो किलोमीटर दूर घटनास्थल की ओर निकल पड़े।
लगभग 70 डिग्री की खड़ी पहाड़ी पर तेजी से धधक रही आग को बुझाने के साथ साथ अपने आप को भी फिसलने से बचाने के प्रयासों के साथ लगभग एक घंटे की मेहनत रंग लाई और आग काबू हो गई।
उन्होंने बताया कि इस बीच ग्राम प्रधान कुबेर सिंह को फोन कर मदद मांगी तो उनके द्वारा बताया गया कि दूसरी ओर वो लोग आग को नियंत्रित कर रहे हैं जहां आग ने तीन चार लूटे ( घास के ढेर) जलाकर राख कर दिए हैं।
उन्होंने कहा कि ओण जलाने में लापरवाही जंगलों पर बहुत भारी पड़ेंगी ऐसे में इस टीम ने स्याही देवी – शीतलाखेत आरक्षित वन क्षेत्र के चतुर्दिक बसे हरडा़,बेड़गाव, पतलिया, सिद्पूर,कुमान,रैंगल,बलम,डोबा,सैंज, जूड, कफून,रौन, डाल, ठाठ, नौगांव, खूंट,धामस , भाकड़, नौला, सल्ला रौतेला, चंपाखाली,देवलीखान,खरकिया,मटीला,पड्यूला, सूरी,
गड़सारी,बरसीला,गड़सारी,सड़का,छिपडि़या, स्याही देवी, शीतलाखेत आदि गांवों के नागरिकों विशेषकर महिलाओं से प्रार्थना करते हुए कहा कि ओण जलाते समय विशेष सावधानी बरतें,ओण को अच्छी तरह जलाने के बाद आग बुझाने के बाद ही घर को जायें,जब तेज हवाएं चल रही हों तब ओण न जलायें औश्र अपने जंगल को संरक्षित रखने में महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करें।
लोगों ने नीति निर्माताओं और वैज्ञानिकों से अनुरोध किया है कि जंगल में आग लगने के बाद आग बुझाने के उपाय करने की जगह वनाग्नि की घटनाएं न्यूनतम करने पर ध्यान दें।
पाठक ने कहा कि आग लगने के अधिकांश मामलों में लापरवाही एक बड़ा कारण है। खेतों की साफ सफाई के दौरान खेत में आग डालकर कूड़ा जलाना जिसे स्थानीय भाषा में केड़ लगाना या ओण फूंकना भी कहते हैं उसे जल्दबाजी में छोड़ना या आग को भली भांति बुझाए बगैर वहां से चले जाने से तेज हवा के दौरान कभी भी आग लग सकती है। ऐसी स्थिति में जरा सी लापरवाही वनाग्नि की बड़ी घटना का कारण बन सकती है।