आवासीय विश्वविद्यालय के स्टार्ट अप से स्वरोजगार की आस
अल्मोड़ा। उत्तराखण्ड आवासीय विश्वविद्यालय अपने स्टार्ट अप यूओयू इनोवटर्स के माध्यम से लोगों को स्वरोजगार के लिये प्रेरित कर रहा है। यूआरयू इनावेटर्स के बारे में…
अल्मोड़ा। उत्तराखण्ड आवासीय विश्वविद्यालय अपने स्टार्ट अप यूओयू इनोवटर्स के माध्यम से लोगों को स्वरोजगार के लिये प्रेरित कर रहा है।
यूआरयू इनावेटर्स के बारे में बताते हुए कुलपति होशियार सिंह धामी ने बताया कि इसका उद्देश्य पहाड़ों से होने वाले पलायन को रोकना, स्वरोजगार के नए विकल्प पैदा करना एवं कुपोषण जैसी समस्याओं से निजात पाना है।
उन्होने बताया कि विश्वविद्यालय के बॉयो ग्रुप के विद्यार्थियों के बीच मशरुम उत्पादन को लेकर प्रयोग किया गया। और इसके आश्चर्यजनक परिणाम सामने आये है। यह कम समय और कम लागत में रोजगार का एक अच्छा साधन बन सकता है। जरूरत इसे बढ़ावा देने की हैै । श्री धामी ने बताया कि प्रारंभिक तौर पर इसकी सफलता के बाद विश्वविद्यालय यूआरयू इनावेटर्स के सदस्यों के माध्यम से गॉव- गॉव जाकर मशरुम उत्पादन की निःशुल्क ट्रेनिंग दिलायेगा।
उन्होने कहा रुचि रखने वाले व्यक्ति कार्यालय में आकर इसके बारे में निःशुल्क जानकारी प्राप्त कर सकते है। यूआरयू इनोवेटर्स की इस पहल में कुलपति प्रो एचएस धामी, कुलसचिव डा बिपिन चन्द्र जोशी, डा पी एस नेगी, यूआरयू इनोवेटर्स के निदेशक संजय तिवारी, मुख्य तकनीकी अधिकारी अनिवेश जोशी एवं रविन्द्र कुमार, विनीता लटवाल, ललित कनवाल, सूरज मेहरा एवं दीपक पाण्डे का विशेष सहयोग रहा।
स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बेहतर है मशरूम
स्वास्थ्य की दृष्टि से मशरुम एक बेहतर विकल्प है, जिससे पहाड़ों में हो रही कुपोषण की समस्या से भी निपटा जा सकता है। मशरुम में 46.7 से 82.80 प्रतिशत तक कार्बोहाइड्रेट, 1.90 से 8.30 प्रतिशत तक फैट , 20.90से 48.60 प्रतिशत तक फाइबर और 30.93 से 33.48 प्रतिशत तक प्रोटीन पाया जाता है। जो कि कुपोषण, कैंसर, कॉलेस्ट्राल इत्यादि के उपचार के लिए लाभदायक है।