उत्तरा न्यूज एक्सक्लूसिव: फिर एक बड़ी लापरवाही के चलते चर्चाओं में आया कुमाऊं विवि व एसएसजे परिसर— जो पद में हैं ही नहीं, उनका नाम ​विवि की विवरणिका में छपा, शिक्षकों में नाराजगी

कुमाऊं विवि व एसएसजे परिसर

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अल्मोड़ा। ​​​कुमाउं विश्वविद्यालय नैनीताल में प्रशासनिक पदों पर बैठे सदस्य कितनी मुस्तैदी से अपना कार्य करते है इसकी बानगी विवि की हाल ही में छपी विवरणिका में देखने में आई है। विवरणिका में एसएसजे परिसर के डीएसडब्ल्यू का नाम गलत छपे होने के साथ ही कई त्रुटियां हुई है। यह त्रुटिवश गलती है या फिर जानबूझकर की गई गलती, यह एक बड़ा सवाल उभर कर सामने आ रहा है।

दरअसल एसएसजे परिसर में बीते कुछ माह पहले छात्रसंघ व विवि प्रशासन के बीच हुए विवाद के बाद परिसर निदेशक प्रो.आरएस पथनी को अवकाश में भेज दिया गया था उनके कार्यभार संभालने के लिए हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. जगत सिंह बिष्ट को संयुक्त निदेशक बनाया गया था।

साथ ही छात्रसंघ की मांग व कुलपति के निर्देश के बाद संयुक्त निदेशक प्रो. जगत सिंह बिष्ट ने परिसर से कुलानुशासक के लिए डॉ. संजीव आर्य तथा डीएसडब्ल्यू के लिए डॉ. केसी जोशी का नाम विवि प्रशासन को भेजे थे। कुलपति की सहमति के बाद दोनों ने संबंधित पदों में कार्यभार ग्रहण कर लिया था।

लेकिन हैरत की बात यह है कि कुमाउं विवि नैनीताल की हाल ही में प्रकाशित हुई विवरणिका में कुलानुशासक में डॉ संजीव आर्य की जगह पूर्व में हटाये गए कुलानुशासक डॉ. डीएस बिष्ट और डीएसडब्ल्यू में डॉ. केसी जोशी के स्थाान पर प्रो. एनडी कांडपाल का नाम प्रकाशित हुआ है। जबकि प्रो. एनडी कांडपाल वर्तमान में एसएसजे के विज्ञान संकाध्याध्यक्ष है। इसके अलावा कुलानुशासक व डीएसडब्ल्यू बोर्ड में उन सदस्यों के नाम छपे है जो वर्तमान में बोर्ड के सदस्य है ही नहीं।

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हालांकि इस पूरे मामले में विवि प्रशासन की ओर से त्रुटिवश पुरानी सूची के नाम छपने का हवाला दिया जा रहा है। विवरणिका की संपादकीय टीम व विवि प्रशासन द्वारा पुरानी सूची के नामों को ही प्रकाशित किया गया है तो डीएसडब्ल्यू में प्रो. एनडी कांडपाल का नाम कैसे छपा यह एक बड़ा सवाल है जबकि पूर्व में एसएसजे परिसर के डीएसडब्ल्यू के पद पर प्रो. पीएस बिष्ट आसिन थे। पुरानी सूची के हिसाब से उनका नाम विवरणिका में छपना था। इसके अलावा इस पद के लिए प्रो. कांडपाल के नाम विवि से किसी भी प्रकार का पत्र निर्गत नहीं हुआ है।

इस पूरे मामले के पीछे प्राध्यापकों व बोर्ड के पूर्व सदस्यों द्वारा ​कई तरह के कयास लगाए जा रहे है। बताते चले कि विवि के कई महत्वपूर्ण पदों पर आसिन सदस्य विवरणिका के संपादकीय टीम के सदस्य होते है इसके अलावा कुलपति भी इस टीम के हिस्सा होते है। इसके बावजूद भी विवरणिका में बरती गई इतनी बड़ी लापरवाही व त्रुटियों की भरमार संपादकीय टीम तथा कुलपति पर कई सवाल खड़े करती है।

इस प्रकरण के सामने आने के बाद इधर एसएसजे में शिक्षकों के ​बीच अंदरुनी विवाद उत्पन्न हो गया है। कई शिक्षक मामले को लेकर नाराज चल रहे है। यहां तक की कई शिक्षक दबी जुबान मामले में जिम्मेदार सदस्यों के खिलाफ कार्यवाही तक ही मांग कर रहे है।

मामले में एसएसजे परिसर के संयुक्त निदेशक प्रो. जगत सिंह बिष्ट ने पूछने पर बताया कि मामला विवि स्तर का है उन्होंने कहा कि 12 दिसंबर को उनसे कुलानुशासक व डीएसडब्ल्यू के लिए नाम मांगे गए थे जिसमें उन्होंने वर्तमान में कार्यरत सदस्यों के नाम भेजे थे। लेकिन इसके बावजूद भी डीएसडब्ल्यू में प्रो.एनडी कांडपाल तथा कुलानुशासक में डॉ. डीएस बिष्ट का नाम कैसे छपा यह समझ से परे है।

मामले में जब​ वि​वि के कुलपति प्रो. केएस राणा से पूछा तो उन्होंने कहा कि जल्दबाजी व त्रुटिवश यह गलती हुई है। ​जिसके चलते पुरानी लिस्ट से नाम छप गए है।

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