हरिद्वार। उत्तराखंड से लगातार बड़ी खबरें मामले सामने आ रही है। इसी क्रम में सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत एक बड़ा खुलासा हुआ है जिसके अनुसार हरिद्वार सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय से धर्मशालाओं की खरीद फरोख्त और अवैध कब्जों से संबंधी पत्रावलियां गायब हो गई हैं।
सूचना आयोग में अपील पर हुई सुनवाई के बाद जिलाधिकारी ने पत्रावलियों की रिपोर्ट तलब की है। इससे धर्मशालाओं की बिना अनुमति खरीद फरोख्त करने वालों में हड़कंप मचा है।
दरअसल अखिल भारतीय धर्मशाला प्रबंधक सभा के अध्यक्ष रमेश चंद्र शर्मा ने सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय हरिद्वार से आरटीआई के अंतर्गत हरिद्वार में धर्मशालाओं की खरीद फरोख्त और अवैध कब्जों से जुड़ी पत्रावलियों की जानकारी मांगी थी। रमेश चंद्र शर्मा का आरोप था कि लॉकडाउन के दौरान श्रवणनाथ नगर स्थित 200 साल पुरानी धर्मशाला को तोड़कर होटल बना दिया।
मामले पर अवधेश कुमार सिंह, सिटी मजिस्ट्रेट की ओर से कहा गया है कि- पत्रावलियों की देखरेख करने वाला कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुका है। धर्मशालाओं की खरीद फरोख्त और कब्जों से जुड़ी पत्रावलियां कार्यालय से गायब हैं। विभागीय स्तर पर इसकी जांच चल रही है। जिलाधिकारी को इस संबंध में अवगत करा दिया है।
बताते चलें कि हरिद्वार में करीब 400 धर्मशालाएं हैं। इनमें 275 नगर निगम में पंजीकृत हैं। जबकि बाकी का पंजीकरण नहीं है। धर्मशालाओं की खरीद फरोख्त और स्वरूप परिवर्तन करने के लिए जिला जज से ट्रस्ट एक्ट की धारा 92 के अंतर्गत अनुमति लेनी पड़ती है। अनुमति के लिए कई शर्तें लागू हैं। लेकिन कई धर्मशालाएं बिना अनुमति के ही बिक गई। उनको तोड़कर होटल और कांपलेक्स बन गए हैं।