पिथौरागढ़ सहयोगी, 13 अप्रैल 2021– उत्तराखंड (Uttarakhand) के इतिहास में प्रसिद्ध नायक के तौर पर रचे-बसे वीर माधो सिंह भंडारी पर जिला मुख्यालय में विगत दिवसएक नाटक की शानदार प्रस्तुति दी गई।
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‘माधो सिंह भंडारी’ शीर्षक से भाव, राग, ताल नाटक एकादमी की ओर से प्रस्तुत इस नाटक की खासियत यह रही कि इसमें लेखक तथा निर्देशक ने माधो सिंह के जीवन को नये पहलुओं के साथ प्रस्तुत किया।
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पिथौरागढ़ (Pithoragarh) का किला जिसे अब लंदन फोर्ट कहा जाने लगा है, में इसकी प्रस्तुति ओपन थियेटर की तरह की गई। कहानी गढ़वाल में मलेथा गांव के माधो सिंह भंडारी के साहस और अपने इलाके की खुशहाली के लिए किये कार्य व बलिदान पर केंद्रित है।
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जिसने तमाम चुनौतियों और कठिनाइयों के बाद सूखे से जूझ रहे मलेथा गांव को हरा-भरा करने के लिए पहाड़ खोदकर गूल बनाई तथा चंद्रभागा नदी से गांव तक पानी पहुंचाया।
नाटक दिखाता है कि इस भगीरथ प्रयास में माधो सिंह पहले टिहरी रियासत के पास भी जाते हैं और राजा से अपनी प्रजा की भलाई के लिए फर्ज निभाने की फरियाद करते हैं, लेकिन निराशा और अपमान मिलने के बाद माधो सिंह खुद कुछ करने की ठानते हैं।
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जिसके बाद ग्रामीणों की मदद से पहाड़ खोदकर गूल बनाने का वह ऐतिहासिक कार्य शुरू होता है। इस प्रयास में वीर माधो सिंह अपने पुत्र को भी खो देते हैं, लेकिन वह और भी दृढ़ निश्चय कर आखिरकार मलेथा को हरा-भरा करने के संघर्ष को मुकाम तक पहुंचाते हैं।
नाटक के माध्यम से शासन व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा होता है, जो आज के संदर्भों से भी जोड़ता है, जिसकी वजह से कहानी आज के समय में भी प्रासंगिक नजर आती है। तमाम उतार-चढ़ाव से भरी कहानी में निर्देशक कैलाश कुमार और लेखक डाॅ. अनिल कार्की ने खूबसूरत और मार्मिक लोक गीत-संगीत का भी शानदार इस्तेमाल किया है जो नाटक को ऐतिहासिक-सांस्कृतिक गति प्रदान करते हुए बांधे रखते हैं।
नाटक में विभिन्न भूमिकाओं में रोहित यादव, जितेंद्र धामी, अनीता बिटालू, प्रीति रावत, वेंकटेश नकुल, दीपक मंडल, सूरज रावत, सौम्या जोशी, निशा कलौनी, सपना, अक्षय पंत और मुकेश कुमार थे। नाटक की प्रस्तुति देखने मुख्य अतिथि के तौर पर पिथौरागढ़ विधायक चंद्रा पंत और सीडीओ अनुराधा पाल मौजूद रहे।
जिन्होंने प्रस्तुति की सराहना करते हुए इसे आज की युवा पीढ़ी के लिए भी प्रासंगिक बताया और नाट्य संस्था और कलाकारों को हर संभव सहयोग देने का आश्वासन दिया।
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