उत्तराखंड में इस साल की गर्मी ने अपने सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। राज्य के मैदानी इलाकों में पारा 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है तो वही पर्वतीय क्षेत्रों में भी पारा 34 डिग्री तक पहुंच रहा है,इससे आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। देहरादून, हरिद्वार और उधमसिंह नगर सहित नैनीताल जिले के हल्द्वानी,रामनगर,लालकुआं,कालाढूंगी आदि इलाकों हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। मौसम विभाग ने इन जिलों के लिए लू का अलर्ट जारी किया है और लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी है।
मौसम विभाग की चेतावनी-
मौसम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि आने वाले कुछ दिनों तक तापमान में कोई राहत मिलने की संभावना नहीं है। अगले सप्ताह तक उत्तराखंड के मैदानी इलाकों में तापमान 44-46 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है। विभाग ने लोगों को सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक घर से बाहर न निकलने की सलाह दी है। साथ ही, अधिक मात्रा में पानी पीने और हल्के कपड़े पहनने की भी सलाह दी गई है।
प्रशासन की तैयारियाँ-
गर्मी के प्रकोप को देखते हुए राज्य सरकार ने भी विशेष तैयारियाँ की हैं। स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों में अस्पतालों को अलर्ट पर रखा है और लू से प्रभावित मरीजों के इलाज के लिए विशेष वार्ड बनाए गए हैं। सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की छुट्टियाँ रद्द कर दी गई हैं और मेडिकल स्टाफ को 24 घंटे तैयार रहने का आदेश दिया गया है। इसके अलावा, पेयजल की कमी को दूर करने के लिए अतिरिक्त टैंकरों की व्यवस्था की गई है।
शिक्षा संस्थानों पर असर-
गर्मी के चलते राज्य के कई जिलों में स्कूलों के समय में भी परिवर्तन किया गया है। देहरादून और हरिद्वार के जिलाधिकारीयों ने स्कूलों को सुबह 7 बजे से 11 बजे तक संचालित करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही, कॉलेज और विश्वविद्यालयों में भी समय सारिणी में बदलाव किया गया है। विद्यार्थियों को सलाह दी गई है कि वे धूप में निकलते समय छाते का इस्तेमाल करें और अधिक से अधिक पानी पीते रहें।
नागरिकों की समस्याएँ-
गर्मी के कारण लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बिजली की खपत बढ़ने से कई जगहों पर बिजली कटौती की समस्या उत्पन्न हो गई है। किसानों की फसलें भी सूखने लगी हैं और उन्हें पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। आम जनता अपने दैनिक कार्यों को पूरा करने में कठिनाई महसूस कर रही है। बाजारों में भी भीड़ कम हो गई है क्योंकि लोग घर से बाहर निकलने में परहेज कर रहे हैं।
विशेषज्ञों की राय-
विशेषज्ञों का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के कारण इस तरह की स्थिति उत्पन्न हो रही है। उन्होंने कहा कि अगर समय रहते उपाय नहीं किए गए तो भविष्य में और भी गंभीर समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक होना होगा और अधिक से अधिक पेड़ लगाने होंगे ताकि वातावरण को संतुलित रखा जा सके।