Uttarakhand election- फौजियों के वोट सभी को चाहिए, पर टिकट देने में की खूब कंजूसी, राष्ट्रीय दलों इस रवैये से मायूस हैं लोग

Uttarakhand election- Everyone needs the votes of the soldiers उत्तरा न्यूज डेस्क,29 जनवरी 2022— उत्तराखंड को सैन्यधाम, सैन्य प्रदेश और न जाने किस किस नाम…

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Uttarakhand election- Everyone needs the votes of the soldiers

उत्तरा न्यूज डेस्क,29 जनवरी 2022— उत्तराखंड को सैन्यधाम, सैन्य प्रदेश और न जाने किस किस नाम से नेता अपने मंचों से पुकारते हैं। परन्तु विधानसभा चुनावों (Uttarakhand election-)में पूर्व सैनिकों को टिकट देने से सभी राष्ट्रीय पार्टियों ने एक प्रकार से कंजूसी ही बरती है।

चुनावों (Uttarakhand election)से पूर्व सत्ताधारी भाजपा व कांग्रेस ने तो बकायदा पूर्व सैनिक सम्मान के कार्यक्रम तक आयोजित किए थे। आमआदमी पार्टी भी हर कार्यक्रम में उत्तराखंड के जांबाजों की शहादत को याद करते नहीं थकती पर जब टिकट देने का नंबर आया तो करीब सभी दलों ने एक प्रकार से पूर्व सैनिकों को टिकट देने से दूरी ही बनाई Uttarakhand election

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भाजपा की ओर से गणेश जोशी, आप से कर्नल अजय कोठियाल सहित गिनती के ही कुछ पूर्व सैनिक होंगे जिन्हें राष्ट्रीय दलों ने अपना प्रत्याशी बनाया होगा। इससे पूर्व दिग्गज बीसी खंडूड़ी, टीपीएस रावत बड़े चेहरे रहे हैं। हालात यह हैं कि यह राजनीतिक पार्टिया कुछ ही लोगों का नाम गिना पा रही है।Uttarakhand election

बताते चलें कि उत्तराखंड प्रदेश में दो लाख से अधिक वोट पूर्व सैनिक परिवार से जुड़े हैं। इसलिए Uttarakhand election में भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पूर्व सैनिक परिवारों को रिझाने में लगे हुए हैं। यहां ​की सियासत में सैनिकों और उनके परिवारों का वोट हमेशा अहम माना जाता है। लगता है दलों को इन परिवारों का वोट तो चाहिए लेकिन यह सभी दल उन्हें प्रत्याशी बनाने का बड़ा दिल या कहें हिम्मत नहीं दिखा पाते हैं।

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जबकि सेवानिवृत्त मेजर जनरल बीसी खंडूड़ी, टीपीएस रावत, गणेश जोशी जैसे कई ऐसे नाम हैं जिन्हें टिकट मिला तो उन्होंने राजनीति में भी खूब जौहर दिखाए।Uttarakhand election

सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवार से जुड़े मुद्दे हर चुनाव में चर्चाओं में होते हैं। लेकिन राजनीतिक दलों के टिकट बंटवारे में नजर नहीं आते। ऐसे में कहीं न कहीं सैनिक परिवार या पूर्व सैनिक केवल राजनीतिक दलों के वोट बैंक बन कर ही रह गए हैं।

सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवार सभी राजनीतिक दलों के लिए वोट बैंक बनकर ही रह गए हैं। अब जब Uttarakhand election का नामांकन का दौर पूरा हो गया है। और तस्वीर साफ हो गई है कि पूर्व सैनिकों के नाम पर सियासत करने वाले भाजपा, कांग्रेस और आप तीनों केवल पूर्व सैनिकों का वोट चाहते हैं। और गिने चुने नेताओं और एक दो प्रत्याशियों के माध्यम से पूरे प्रदेश को साधना चाहते हैं।Uttarakhand election