उत्तराखंड शिक्षा विभाग में बड़ी लापरवाही: 40 शिक्षक और कर्मचारी लापता

उत्तराखंड के शिक्षा विभाग में अनुशासनहीनता का बड़ा मामला सामने आया है। 40 शिक्षक और कर्मचारी बिना किसी सूचना के लंबे समय से ड्यूटी से…

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उत्तराखंड के शिक्षा विभाग में अनुशासनहीनता का बड़ा मामला सामने आया है। 40 शिक्षक और कर्मचारी बिना किसी सूचना के लंबे समय से ड्यूटी से नदारद हैं। इस लापरवाही पर शिक्षा महानिदेशालय ने सख्त रुख अपनाते हुए निदेशक प्रारंभिक शिक्षा को एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई की रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं।

🔍 कौन-कौन हैं लापता शिक्षक और कर्मचारी?
शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के विभिन्न जिलों में 20 शिक्षक कई महीनों से गायब हैं। इनमें चमोली, पौड़ी, टिहरी, देहरादून, हरिद्वार, उत्तरकाशी, चंपावत, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा और ऊधमसिंह नगर के शिक्षक शामिल हैं। इसके अलावा, रुद्रप्रयाग, टिहरी, बागेश्वर, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ और नैनीताल में 13 मिनिस्ट्रीयल कर्मचारी तथा देहरादून, अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और ऊधमसिंह नगर में 7 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी बिना किसी सूचना के गायब हैं।

📚 छात्रों की पढ़ाई पर पड़ रहा असर
इन शिक्षकों और कर्मचारियों की अनुपस्थिति से स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हो रही है। कई स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक न होने के कारण छात्रों की पढ़ाई बाधित हो रही है। खासकर ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्रों में यह समस्या और गंभीर होती जा रही है, जहां पहले से ही शिक्षकों की भारी कमी है।

📝 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया भी प्रभावित
शिक्षकों और कर्मचारियों की अनुपस्थिति के कारण नई भर्ती प्रक्रिया भी प्रभावित हो रही है। शिक्षा विभाग में सीआरपी और बीआरपी के 955 पदों और 2300 से अधिक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती होनी थी, लेकिन प्रयाग पोर्टल में आवश्यक बदलाव न होने के कारण यह प्रक्रिया रुकी हुई है।

⚖️ अब होगी सख्त कार्रवाई!

शिक्षा महानिदेशालय ने साफ कर दिया है कि इस तरह की लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अनुपस्थित शिक्षकों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी और उनकी सेवाएं समाप्त करने तक की सिफारिश की जा सकती है। शिक्षा विभाग का उद्देश्य प्रदेश में स्कूलों की व्यवस्था को सुधारना और छात्रों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराना है, जिसके लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे।

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