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सरकार का दावा— उत्तराखंड देवस्थानम बोर्ड से बदलेगी राज्य में धार्मिक पर्यटन की तस्वीर

Newsdesk Uttranews
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उत्तरा न्यूज डेस्क— उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने राज्य में स्थापित मंदिरों की व्यवस्था को एकरूपता देने और राज्य में चार धाम यात्रा (Char Dham Yatra) को और बेहतर बनाने के लिए उत्तराखंड देवस्थानम बोर्ड बनाकर एक बड़ा कदम उठाया है.

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सरकार को उम्मीद है कि इस व्यवस्था के बाद राज्य में चार धाम यात्रा पहले के कहीं अधिक सुचारू रूप से चलेगी. राज्य में मंदिरों की देखभाल ठीक तरीके से हो सकेगी और देवसंस्कृति के वाहक पुरोहित समाज को भी पहले से अधिक सुविधाएं मिल दी जा सकेंगी. सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत इस बोर्ड के गठन के बाद न सिर्फ उत्साहित हैं बल्कि उम्मीद जता रहें हैं कि ये बोर्ड राज्य में धार्मिक पर्यटन की तस्वीर को बदल कर रख देगा.

यह होंगे फायदे—

देवस्थानम बोर्ड बनाने के पीछे उत्तराखंड सरकार का प्रमुख उद्देश्य राज्य के मंदिरों में आधारभूत ढांचागत विकास करना है. इस बोर्ड के अधीन राज्य के चारों धाम और 51 मंदिर आएंगे. इन मंदिरों में देश ही नहीं विदेशों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. ऐसे में इन मंदिरों में विश्व स्तरीय सुविधाओं का विकास भी किया जाएगा. सरकार अब राज्य में धार्मिक पर्यटन पर आने वालों के लिए सिंगल प्वाइंट अरेंजमेंट (Single point arrangement) उत्तराखंड देवस्थानम बोर्ड(Uttarakhand Devasthanam Board) राज्य में धार्मिक पर्यटन(Religious tourism in the state) की तस्वीर को बदल कर रख देगा

उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने राज्य में स्थापित मंदिरों की व्यवस्था को एकरूपता देने और राज्य में चार धाम यात्रा को और बेहतर बनाने के लिए उत्तराखंड देवस्थानम बोर्ड बनाकर एक बड़ा कदम उठाया है. सरकार को उम्मीद है कि इस व्यवस्था के बाद राज्य में चार धाम यात्रा पहले के कहीं अधिक सुचारू रूप से चलेगी. राज्य में मंदिरों की देखभाल ठीक तरीके से हो सकेगी और देवसंस्कृति के वाहक पुरोहित समाज को भी पहले से अधिक सुविधाएं मिल दी जा सकेंगी.

सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत इस बोर्ड के गठन के बाद न सिर्फ उत्साहित हैं बल्कि उम्मीद जता रहें हैं कि ये बोर्ड राज्य में धार्मिक पर्यटन की तस्वीर को बदल कर रख देगा.

इंफ्रास्ट्रक्चर होगा बेहतर

देवस्थानम बोर्ड बनाने के पीछे उत्तराखंड सरकार का प्रमुख उद्देश्य राज्य के मंदिरों में आधारभूत ढांचागत विकास करना है. इस बोर्ड के अधीन राज्य के चारों धाम और 51 मंदिर आएंगे. इन मंदिरों में देश ही नहीं विदेशों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. ऐसे में इन मंदिरों में विश्व स्तरीय सुविधाओं का विकास भी किया जाएगा. सरकार के अनुसार अब राज्य में धार्मिक पर्यटन पर आने वालों के लिए सिंगल प्वाइंट अरेंजमेंट की ओर कदम बढ़ा रही है.

पुरोहितों के हित सुरक्षित

देवस्थानम बोर्ड के गठन के ऐलान के साथ ही इसका विरोध भी पटल पर आ गया. बड़ी संख्या में पुरोहित समाज के लोगों ने इस बोर्ड के गठन के विरोध में मोर्चा खोल दिया था. हालांकि अब सरकार का कहना है कि इस बोर्ड गठन के बाद अब पुरोहित समाज का बड़ा तबका इसके समर्थन में आ गया है.
वहीं सरकार शुरुआत से इस बात का दावा करती रही है कि इस बोर्ड के गठन से पुरोहित समाज के हितों की अनदेखी किसी स्तर पर नहीं होगी. रावत और पुरोहितों की सदियों पुरानी व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं आएगा. प्रबंधन के स्तर पर बोर्ड व्यवस्थाओं को बेहतर करेगा. सरकार की माने तो इसी लिहाज से सरकार ने बोर्ड में चारों धामों के प्रतिनिधियों को भी स्थान दिया है. सरकार का यह भी दावा है कि इस बोर्ड के गठन के बाद चारों धामों की व्यवस्था में समन्वय बनेगा
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भविष्य के लिए जरूरी
त्रिवेंद्र सरकार राज्य में धार्मिक तीर्थाटन को भविष्य के लिहाज से व्यवस्थित करना चाहती है. वैष्णो देवी और तिरुपति बालाजी जैसे मंदिरों में की गई व्यवस्थाओं के मुताबिक ही त्रिवेंद्र सरकार उत्तराखंड के मंदिरों में भी व्यवस्थाएं करना चाहती है.
सरकार को उम्मीद है कि इससे राज्य के मंदिरों में धार्मिक पर्यटन बढ़ेगा. हालांकि सरकार के प्रयासों से चार धामों में आने वाले यात्रियों का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है. फिलहाल तकरीबन चालीस लाख पर्यटक पहुंच रहें हैं. सरकार का मानना है कि राज्य में जारी ऑल वेदर रोड और ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन के निर्माण के बाद पर्यटकों की संख्या करोड़ों में पहुंच सकती है. ऐसे में राज्य के मंदिरों की व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने के लिए सरकार को इस तरह के बोर्ड के गठन की जरूरत महसूस हो रही थी.