देहरादून: उत्तराखंड के वानिकी स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों ने राज्य सरकार से वन सेवा (State Forest Service) में आरक्षण की मांग की है। छात्रों ने राज्य वन मंत्री को ज्ञापन भेजते हुए आग्रह किया है कि अन्य राज्यों की भांति उत्तराखंड में भी वन क्षेत्राधिकारी (Forest Range Officer – FRO) और सहायक वन संरक्षक (Assistant Conservator of Forest – ACF) के पदों पर वानिकी स्नातकों के लिए आरक्षण सुनिश्चित किया जाए।
अन्य राज्यों में लागू है आरक्षण नीति
उत्तराखंड फॉरेस्ट्री ग्रेजुएट एसोसिएशन के अध्यक्ष उदयवीर सिंह ने कहा कि हिमाचल प्रदेश, केरल, ओडिशा, गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, नागालैंड, जम्मू-कश्मीर और मणिपुर सहित कई राज्यों में राज्य वन सेवा और वन क्षेत्राधिकारी की सीधी भर्ती में 50% से 100% तक पद वानिकी स्नातकों के लिए आरक्षित हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार को भी इसी तर्ज पर नीति लागू करनी चाहिए ताकि वानिकी स्नातकों को रोजगार के अधिक अवसर मिल सकें।
वानिकी पाठ्यक्रम के अनुरूप हो नियुक्ति प्रक्रिया
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, कुमाऊं विश्वविद्यालय, वीर चंद्र सिंह गढ़वाली उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय और अन्य निजी विश्वविद्यालयों में वानिकी विषय में चार वर्षीय स्नातक एवं दो वर्षीय स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं।
वानिकी पाठ्यक्रम को भारतीय वानिकी प्रशिक्षण संस्थान (IGNFA) और अन्य राष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इसमें वन-प्रबंधन, वन-संरक्षण, वन-जैव विविधता, वन-कानून, वन मापिकी, कृषि वानिकी, सामुदायिक वानिकी और वन उत्पाद प्रबंधन जैसे विषयों पर गहन अध्ययन कराया जाता है। इसके अलावा, छात्रों को राज्य के विभिन्न वन प्रभागों में छह महीने तक प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
राष्ट्रीय वन आयोग की सिफारिशों के बावजूद आरक्षण नहीं
राष्ट्रीय वन आयोग (2006) ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट सिफारिश की थी कि वन सेवा अधिकारी (ACF) और वन क्षेत्राधिकारी (FRO) पदों पर वानिकी स्नातकों की भर्ती की जानी चाहिए। इस सिफारिश के बावजूद, उत्तराखंड सरकार ने अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
रोजगार के सीमित अवसर, छात्रों में बढ़ रही निराशा
ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि हर साल उत्तराखंड के विश्वविद्यालयों से लगभग 40-40 वानिकी स्नातक और 19-19 स्नातकोत्तर छात्र पास होते हैं, लेकिन उन्हें राज्य वन सेवा में प्राथमिकता नहीं मिलती।
“वानिकी स्नातकों के पास रोजगार के सीमित अवसर हैं, जबकि विज्ञान वर्ग के छात्रों को शिक्षक, इंजीनियर और अन्य क्षेत्रों में पर्याप्त अवसर मिलते हैं। कृषि स्नातकों को कृषि विभाग में और बी.टेक. स्नातकों को लोक निर्माण विभाग में अवसर मिलते हैं, लेकिन वानिकी स्नातकों के लिए ऐसा कोई विशेष प्रावधान नहीं है।”
उन्होंने मांग की कि उत्तराखंड में भी अन्य राज्यों की भांति FRO और ACF पदों की सीधी भर्ती में क्रमशः 75% और 50% पद वानिकी स्नातकों के लिए आरक्षित किए जाएं।
सरकार से ठोस कदम उठाने की अपील
प्रदेश के वानिकी प्रशिक्षित युवाओं ने मुख्यमंत्री और वन मंत्री से इस मुद्दे पर संज्ञान लेने और उचित कानूनी कार्यवाही करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार इस दिशा में जल्द कदम नहीं उठाती है, तो वे व्यापक स्तर पर आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे।