उत्तराखंड: प्रवासियों को CM ने गढ़वाली (Garhwali) भाषा में लिखा पत्र, कही ये बात

देहरादून, 25 अप्रैल 2020कोरोना वायरस (Corona virus) संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए घोषित लॉक डाउन के चलते देश—विदेश के तमाम हिस्सों से भारी…

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देहरादून, 25 अप्रैल 2020
कोरोना वायरस (Corona virus) संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए घोषित लॉक डाउन के चलते देश—विदेश के तमाम हिस्सों से भारी संख्या में प्रवासी उत्तराखंड लौटे है. सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) ने प्रवासियों के नाम गढ़वाली भाषा (Garhwali) में एक पत्र​ लिखा है. जिसमें उन्होंने उत्तराखंड लौटे प्रवासियों से खेती को अपने जीवन यापन का आधार बनाकर प्रदेश के विकास में सहयोगी बनने की अपील की है.

देश में लॉक डाउन के चलते अपने गांव को लौटे प्रदेश वासियों से गढ़वाली (Garhwali) भाषा में प्रेषित पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) ने कहा है कि हमारे प्रवासी भाइयों ने देश व विदेश में रहकर अपनी मेहनत से अपनी पहचान बनाई है. उन्होंने कहा है कि अब वह यही कार्य अपने घर गांव में भी कर सकते हैं, इससे उनका परिवार एवं हमारा प्रदेश भी आर्थिक रूप से खुशहाल होगा.

सीएम की ओर से पौड़ी गढ़वाल (Pauri Garhwal)के प्रवासियों को भेजे पत्र में कहा है कि हमारे पूर्वजों ने पहाड़ों को काटकर खेत बनाए, उन खेतों को उपजाऊं बनाकर हमारा पालन-पोषण किया है. आज यही खेती हमारी भागम भाग की जिंदगी के कारण बंजर पड़ी है. जबकि हमारे इन खेतों के उत्पादों की मांग देश व दुनिया में हो रही है.

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हमारे मंडुवा, झंगोरा, दाल, गहत, राई, जौ, तिल, शहद, गाय का घी व बुरांश के जूस की मांग तेजी से बढ़ रही है. आज जब दुनिया के उद्योगपति भी अपनी खेती पर ध्यान दे रहे हैं तो हम क्यों ना अपनी खेती को अपने जीवन यापन का आधार बनाएं.

सीएम (CM) ने कहा कि राज्य सरकार स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए अनेक सुविधाएं दे रही है. होम स्टे (Home stay), वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना (Self employment scheme), दुग्ध उत्पादन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन, बागवानी, उद्यानीकरण, सब्जी उत्पादन, मसाला फसलों का उत्पादन, पुष्प उत्पादन हेतु प्रोत्साहित कर रही है. यही नहीं इन उत्पादों को बढ़ावा देने के साथ ही इसके विपणन की भी व्यवस्था की जा रही है.

उन्होंने कहा कि मंडुआ के लड्डू, बिस्कुट, केक, झंगोरा की खीर व लड्डू की भी बाजार में बड़ी मांग है. यह मांग तभी पूरी हो सकती है जब हम अपनी परंपरागत खेती (Traditional farming) के प्रति ध्यान देकर उसे बढ़ावा देंगे.

सीएम रावत ने कहा कि प्रवासी बंधु अपने घर में रहकर यह कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए राज्य सरकार उनकी पूर्ण रूप से मदद करने के लिए तैयार है. मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि अपने गांव को लौटे लोग अपना स्वयं का कार्य आरंभ कर आत्मनिर्भर (self dependent) बन सकेंगे, इसमें सरकार प्रतिबद्धता के साथ उनकी सहयोगी रहेगी.

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने बताया कि अपना मनचाहा कार्य करने के लिए वे अपने विकास खंड कार्यालय अथवा जिला मुख्यालय में स्थापित आजीविका सेल (aajeevika cell) के फोन नंबर— 01368 223084 या मोबाइल नंबर — 9412028718 अथवा [email protected] पर भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.