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उत्तरा विशेष: एक शिक्षिका ऐसी भी: शैलेश मटियानी पुरस्कार के लिए चयनित हुई इमराना परवीन समाज के लिए कुछ ऐसे बनी प्रेरणास्रोत, पढ़े पूरी खबर

Newsdesk Uttranews
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अल्मोड़ा। राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका को महत्वपूर्ण माना गया है। शिक्षक ही विद्यार्थी का सही मार्गदर्शन कर उसके भविष्य का निर्माण करता है। समाज में कुछ ऐसे शिक्षक जो अपने असाधारण कार्यों से लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत बन जाते है। उन्हीं में से एक है इमराना परवीन। जी हां, ताड़ीखेत विकासखंड के राप्रावि खिरखेत में तैनात ​​इमराना परवीन ने पिछले कुछ वर्षों में विद्यालय की दशो—दिशा बदल दी है। वैसे तो सरकारी विद्यालयों में अभी भी व्यवस्थाओं का अभाव बरकरार है लेकिन इस विद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थी को किसी भी अव्यवस्था का सामना नहीं करना पड़ता।
2016 में गवर्नर्स टीचर्स अवार्ड से सम्मानित हो चुकी इमराना परवीन के असाधारण कार्यों व शिक्षा के क्षेत्र में किये गये आमूलचूल परिर्वतन को देखते हुए उनका चयन इस वर्ष ‘शैलेश मटियानी राज्य शिक्षक पुरस्कार’ के लिए किया गया है। 25 मार्च 1995 को अल्मोड़ा के ताड़ीखेत ब्लाक स्थित राप्रावि सलोनी से इमराना ने शिक्षण कार्य शुरू किया। जिसके बाद वह वर्ष 2000 में ताड़ीखेत ब्लाक के ही राप्रावि खिरखेत में आ गई। जहां पिछले 19 वर्षों से वह अध्यापन कर रही है। ​सरकारी विद्यालयों में बदहाल व्यवस्था को देखते हुए इमराना ने अपने खुद के वेतन से धीरे—धीरे विद्यालय की अव्यवस्थाओं को सुधारने का कार्य किया। इमराना ने बताया कि वह अपने वेतन से 25 हजार की धनराशि विद्यार्थियों पर खर्च करती है जिसमें ड्रेस, आने—जाने के लिए वाहन की व्यवस्था, पाठ्य सामग्री समेत अन्य कई कार्य सम्मिलित है। इसके अलावा वह नवाचारी शिक्षा पर अधिक जोर देती है जिससे बच्चे का मानसिक व बौद्धिक विकास तेजी से हो। अभिभावकों को जागरूक करने के लिए इमराना स्कूल बंद होने के बाद उन्हें प्रौढ़ शिक्षा देती है।
इमराना ने शैलेश
मटियानी पुरस्कार मिलने का श्रेय वह अपनी माता स्व. अंजुम साबिर, पूर्व डिप्टी ईओ ताड़ीखेत गीतिका जोशी समेत अपने परिजनों को दिया है।

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