यह है बेतालघाट का दशरथ मांझी— अपनी बर्बाद हो चुकी खेती को अपनी मेहनत से उपजाऊ बना डाला बेतालघाट के हरगिरि गोस्वामी ने सिस्टम को दिखाया आइना,क्षेत्रवासियों के लिए बने नजीर

बेतालघाट से राजेश पंत की रिर्पोट- न जेठ की धूप उसे डिगा पाई न ही बरसात की बाढ़ ने हौंसले कम किए और न ही…

बेतालघाट से राजेश पंत की रिर्पोट- न जेठ की धूप उसे डिगा पाई न ही बरसात की बाढ़ ने हौंसले कम किए और न ही सर्द की ठिठुरन से राह रोकी। बेतालघाट के गजार निवासी हरगिरी गोस्वामी ने आपदा में ध्वस्त हो चुकी अपनी खेती को न केवल संवार लिया बल्कि अच्छी खेती कर आसपास के काश्तकारों के लिए नजीर पेश की है।
बेतालघाट के गजार निवासी हरगिरि गोस्वामी ने किसान की आय दोगुनी की बात करने वाली सरकार को आइना दिखाया है। 1993 में आयी भयंकर आपदा से हरगिरि की खेती जो कोसी नदी से सटी थी पूरी तरह तबाह हो गई और देखते ही देखते वहा खेती के जगह पूरी कोसी नदी ने अपना कब्जा जमा लिया हरगिरि के आखों में आंसू आ गए, मन बेचैन हो गया और परिवार की चिंता ने उन्हें तनाव ग्रस्त कर दिया। खेती के अलावा परिवार पालने पोषण का अन्य कोई उपाय नहीं था खेतों में जुताई गुड़ाई की माहिर हरगिरी ही नहीं अन्य लोगो की भी खेती बाढ़ में बह गई थी जिसमे बाकी लोगो ने लगभग हार मानकर खनन को सही समझकर उनमें पट्टो से रेता निकालना उचित समझ रहे है वही हरगिरी गोस्वामी ने 75 की उम्र में अपने हाथ से गड्ढा खोदकर डीजल पंप लगाया उसके बाद उन्होंने हाड़ तोड़ मेहनत से अपनी बंजर भूमि को एक बार फिर उपजाऊ बनाया। 1993 से पहले यहां की मिर्च आलू प्याज बेतालघाट की मशहूर बासमती के धान बासमती के धान गेहूं उगाया करते थे उसी मेहनत से उन्होंने एक झोपड़ी बनाकर अपना रात को मिट्टी के दीए जलाकर अपना गुजर गुजर कर रहे हैं। वर्तमान सरकार ने उनकी मेहनत को देखकर वहां विद्युत कनेक्शन जरूर दे दिया है जिससे हरि गिरि को रात के अंधेरे से निजात मिल गयी है पर सिंचाई विभाग की नहर अभी भी शोपीस बनी हुई है वही उनके पुत्र प्रेम गिरी ने रामनगर डिवीजन के सिंचाई विभाग के


आन गिरी गोस्वामी, लक्ष्मण नाथ,जगत नाथ, भोला नाथ, दीवाना,नर नाथ,धन गिरी,गोधन गिरी,कमल गिरी,त्रिलोक सिंह, कृपाल नाथ, त्रिलोक नाथ,कांति बल्लभ पांडे, दया किशन पांडे,पप्पू नाथ,प्रेम नाथ, किशोर नाथ, गोपाल नाथ,उमेश सिंह नेगी, हीरा सिंह नेगी, राम सिंह, लाल सिंह, श्याम सिंह, प्रताप सिंह सहित अन्य किसान अपनी खेती के लिए तरस रहे हैं। किसानों का कहना है कि बिजली यहां पर उपलब्ध कराई गई है अगर 6 इंच का डीजल पंप लगाया जाए नहर की मरमत सही कराए जाए तो यहां पर हम अपने बच्चों का पालन पोषण कर सकते हैं वही प्रेम गोस्वामी का कहना है कि किसी भी जनप्रतिनिधियो व अधिकारियों ने यहां के किसानों का दुःख सुख व मुआवजा तो दूर हाल समाचार तक नहीं लिया है।