अल्मोड़ा। सोबन सिंह जीना परिसर अल्मोडा के पूर्व छात्रसंघ उपसचिव वैभव पाण्डेय ने आज जारी बयान में कहा कि पिछले दो वर्षों से सरकार एवं प्रशासन उत्तराखंड के विश्वविद्यालयों, परिसरों में छात्रसंघ चुनावों को टालने का काम कर रही है जो कदापि युवाओं के हित में नहीं है। छात्रसंघ चुनाव छात्रों एवं युवाओं के हित में होते हैं और अधिकांशतः इन चुनावों को राजनीति की सीढ़ी माना जाता है।
कहा कि जहां एक ओर सरकार विधानसभा से लेकर पंचायत,नगर निगम तथा उपचुनाव बिना किसी रोक टोक के सम्पन्न करा रही है।वहीं दूसरी ओर छात्रसंघ चुनाव कराने से सरकार पीछे हट रही है जो युवाओं और छात्रों के साथ धोखा है। उन्होंने कहा कि जब राज्य में उपचुनाव हो सकते हैं,राजनैतिक रैलियां हो सकती हैं,सरकार के मुख्यमंत्री,मंत्रियों की विशाल यात्राएं निकल सकती हैं,बड़ी बड़ी जनसभाएं हो सकती हैं तो छात्रसंघ चुनाव क्यों नहीं हो सकते सरकार स्पष्ट करे।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सभी के लिए समान नियम होते हैं लेकिन वर्तमान परिपेक्ष्य में चुनावों के सन्दर्भ में छात्रसंघ चुनाव ना करवाकर बाकी सभी चुनाव करवाना स्पष्ट करता है कि सरकार छात्र राजनीति का दमन करने पर आतुर है। उन्होंने कहा कि जून माह में जब कोरोना अपने प्रचंड रफ्तार में था तब सल्ट विधानसभा में उपचुनाव करवाया गया। उसके बाद सरकार ने पूरे प्रदेश में जन आर्शीवाद यात्रा निकाली। सभी राजनैतिक और सामाजिक कार्यक्रमों बहुतायत में हो रहे हैं। विशाल जनसभाओं पर कोई अंकुश नहीं है तो छात्रसंघ चुनावों को करवाने में सरकार को क्यों दिक्कत आ रही है?
उन्होंने सूबे के मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से अपील की है कि अविलम्ब इसका सन्दर्भ ग्रहण कर अपने स्तर से छात्रसंघ चुनाव करवाने हेतु विश्वविद्यालयों को आदेशित करेंगें। उन्होंने कहा कि यदि छात्रसंघ चुनाव करवाने को लेकर सरकार कोई सकारात्मक फैसला नहीं लेती है तो पूरे प्रदेश के छात्र प्रदेश सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरकर आन्दोलन करने को बाध्य होंगे जिसकी समस्त जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।
कहा कि उत्तराखंड में भाजपा एवं कांंग्रेस को केवल चुनावों के समय युवाओं की याद आती है परन्तु छात्रसंघ चुनाव कराये जाने की मांग को लेकर भाजपा,कांंग्रेस सहित अन्य कोई भी राजनैतिक पार्टी वर्तमान में युवाओं का साथ नहीं दे रही है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि अविलम्ब रूप से छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाये गये तो युवा सड़क पर उतरकर आन्दोलन करने के साथ ही आगामी विधानसभा चुनावों का विरोध करने को बाध्य होंगे।