उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सुरंग में फंसे हुए 40 मजदूरों को 5 पांच दिन हो चुके है। रात दिन मजदूरों को बचाने के लिए कोशिश जारी है लेकिन यह कोशिश नाकाम साबित हो रहीं हैं। अब तक देशभर के कई एक्सपर्ट से लेकर बड़ी बड़ी मशीनों का भी उपयोग किया जा चुका है। सुरंग में लगातार मलवा गिरने की कारण मजदूरों को निकालने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
हादसा किस कारण हुआ इसका पता जांच के बाद ही चलेगा। फिलहाल सिलकियारा पोल गांव टनल हादसे को ग्रामीण स्थानीय देवता का गुस्सा बता रहे है। ग्रामीणों का कहना हैं कि टनल के पास मंदिर तोड़े जाने की वजह से बौखनाग देवता नाराज है। जिनको इस क्षेत्र का रक्षक माना जाता है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार सिलकियारा गांव निवासी 40 वर्षीय धनवीर चंद रामोला ने कहा कि प्रोजेक्ट शुरू होने से पूर्व टनल के समीप एक मंदिर बनाया गया था। बताया कि इस मंदिर में अधिकारी व मजदूर पूजा करने के बाद ही प्रवेश लेते थे।
लेकिन कुछ दिन पहले नए प्रबंधन ने मंदिर को वहां से हटवा दिया, जिस कारण इतनी बड़ी दुर्घटना हुई है। वही ग्रामीणों का कहना है कि जब तक स्थानीय देवता को शांत नही किया जाता लाख कोशिश भी सफल नहीं हो सकती हैं। इधर बौखनाग देवता के पुजारी गणेश प्रसाद बिजालवान ने बताया कि उत्तराखंड देवताओं की भूमि है। किसी भी पुल सड़क या सुरंग को बनाने के लिए छोटा मंदिर बनाने की परंपरा है। जिनका आशीर्वाद लेकर ही काम को किया जाता है। उनका मानना है कि मंदिर को तोड़कर गलती की है जिस कारण यह हादसा हुआ है।