अल्मोड़ा। गो0 ब0 पन्त राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी-कटारमल के ग्रामीण तकनीकी परिसर में वन संरक्षक वन पंचायत देहरादून द्वारा चयनित तीन जनपदों पिथौरागढ़, नैनीताल एवं अल्मोड़ा से 24 वन पंचायतों के सरपंचों हेतु एक दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया। प्रशिक्षण का शुभारम्भ करते हुए ग्रामीण तकनीकी परिसर प्रभारी डा0 वाई. के. राय ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए परिसर के गतिविधियों की जानकारी देतु हुए प्रशिक्षण की विषयवस्तु से अवगत कराया।
इस अवसर पर संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक सामाजिक आर्थिक विकास केन्द्र के केन्द्र प्रमुख डा. जी.सी.एस. नेगी ने संस्थान के कार्यकलापों के बारे में बताते हुए पर्यावरण संरक्षण हेतु पीरूल के विभिन्न उपयोगों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इस अवसर पर उपस्थित वैज्ञानिक डा. हर्षित पन्त ने पीरूल से विभिन्न उत्पाद तैयार करने पर स्लाइड सो द्वारा विस्तृत व्याख्यान दिया। प्रशिक्षण सत्र के दूसरे सत्र में संस्थान में कार्यरत मास्टर ट्रैनर श्री डी. एस. बिष्ट ने प्रतिभागियों को जैविक ईंधन (बायोब्रिकेट) बनाने का प्रयोगात्मक प्रशिक्षण प्रदान किया तथा वन पंचायत सपरपंचों को उनके लिए यह तकनीकी किस तरह उपयोगी है उसके बारे में जानकारी दी।
इस अवसर पर वरिष्ठ शोधार्थी डा. देवेन्द्र सिंह ने पीरूल से कागत बनाने के विषप पर सरपंचों को जानकारी दी। प्रशिक्षण के तीसरे सत्र में वरिष्ठ तकनीशियन डा. वाई. के. राय ने प्रतिभागियों से परिचर्चा करते हुए ग्रामीण तकनीकी परिसर में प्रदिर्शित आजीविका वृद्धि की तकनीकों की जानकारी दी। प्रशिक्षण के दूसरे दिन स्पर्धा संस्था के निदेशक ई. दीप चन्द्र बिष्ट ने प्रतिभागियों को चीड़ के कोन एवं पीरूल से आकर्षक कलाकृतियॉं बनाने का गहन प्रयोगात्मक ज्ञान देते हुए इससे आय अर्जित करने के गुर शीखाए।
प्रशिक्षण के समापन सत्र में वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. जी.सी.एस. नेगी ने प्रतिभागियों से चर्चा करते हुए प्रशिक्षण में शीखी तकनीकों को अपने जीवन में अपनाने की सलाह दी तथा सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरण किये।