आज होलिका दहन किया जाएगा। रंगो की होली से एक दिन पहले लोग छोटी होली मनाते हैं। इसे होलिका दहन भी कहा जाता है। इस साल होली का त्योहार 18 march को मनाया जाएगा। हालांकि कुमाऊं के पर्वतीय इलाको में इसके एक दिन बाद यानि 19 मार्च को छलड़ी यानि होली मनाई जाएगी।
आज यानि 17 march को छोटी होली मनाई जाएगी। छोटी होली राक्षस राजा हिरण्यकश्यप और उसके पुत्र प्रहलाद की कहानी से जुड़ी है। हिरण्यकश्यप जिसे राक्षस राजा के रूप में भी जाना जाता है, भगवान विष्णु का एक बड़ा दुश्मन था।
हालांकि हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु (Holi 2022) का बहुत बड़ा भक्त था। हिरण्यकश्यप को ये पसंद नहीं था। उसने अपनी बहन होलिका से मदद मांगकर अपने ही बेटे को मारने का फैसला किया।
होलिका के पास एक ऐसा वस्त्र था जो आग में नहीं जल सकता था। होलिका ने प्रहलाद को अपने साथ अग्नि में बैठने के लिए राजी किया। जैसे ही आग जली प्रहलाद ने भगवान विष्णु से उसकी रक्षा करने और सुरक्षित रखने की प्रार्थना की। इस दौरान भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद की जान बच गई और होलिका जल गई।
जानिए होलिका दहन लोगों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
इस दिन लोग होलिका की पूजा भी करते हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं में ये माना जाता है कि होलिका पूजा करने से सभी के घर में समृद्धि आती है। लोगों का मानना है कि होलिका पूजा करने के बाद वे सभी प्रकार के भय पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।
इस विधि से करें होलिका पूजा
होलिका दहन के दिन विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। होलिका दहन एक अनुष्ठान है जो एक अलाव के साथ होता है। लोग आमतौर पर अपने परिवार और दोस्तों के साथ अलाव के आसपास परिक्रमा करते हैं।
होलिका की पूजा फूल, अगरबत्ती, अक्षत, सूती धागा, मूंग दाल, मिठाई या बताशा, हल्दी, कुमकुम, नारियल, गुलाल और पानी से करें।पांच या सात बार अलाव की परिक्रमा करके प्रार्थना करें। इस दिन होलिका पूजा करने से सभी प्रकार की नकारात्मकता दूर होती है। इससे घर में सुख और समृद्धि आती है।
जानिए होलिका दहन का शुभ मुहूर्त कब है?
इस साल होलिका दहन 17 मार्च को होगा। वहीं रंगों की त्योहार होली मैदानी इलाकों में 18 मार्च को मनाई जाएगी। जबकि कुमांऊ के पर्वतीय इलाको में 19 को होली यानि छलड़ी मनाई जाएगी। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात 9:03 से 10 बजे तक रहेगा।