कहा कि यह भाजपा के संकल्प पत्र में भी इसका उल्लेख किया गया था और गैरसैंण (Gairsain) को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का यह सबसे उपयुक्त समय है।
आंदोलनकारी चाहते है गैरसैंण (Gairsain) में बने स्थायी राजधानी
वर्ष 1992 में उत्तराखण्ड क्रांति दल ने तो पेशावर कांड के हीरो रहे वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के नाम से बाकायदा गैरसैंण को चन्द्रनगर नाम से उत्तराखण्ड की औपचारिक राजधानी घोषित कर दिया था। 1994 में गैरसैंण (Gairsain) राजधानी को लेकर लेकर 157 दिन का क्रमिक अनशन हुआ। गैरसैंण (Gairsain) नाम तब भी चर्चाओं में आया जब 1994 में मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री काल में उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की मांग को लेकर रमाशंकर कौशिक समिति बनाई थी जिसने पूरे राज्य के लोगों के साथ रायशुमारी कर गैरसैंण को राजधानी बनाने पर जोर दिया। और राज्य बनने के बाद भी गैरसैंण (Gairsain) को स्थायी राजधानी बनाने की मांग कमजोर नही हुई ।
गैरसैंण फिर 2012 में चर्चाओं में तब आया जब तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने गैरसैंण (Gairsain) में कैबिनेट बैठक आयोजित कर डाली। इसके बाद 2013 में गैरसैण (Gairsain) के जीआईसी मैदान में विधानसभा भवन का शिलान्यास करने के बार फिर गैरसैंण (Gairsain) का मुददा जोर पकड़ने लगा। और बाद में गैरसैंण से 14 किमी दूर भराड़ीसैंण में यह भवन मूर्त आकार लेने लगा। २०१४ में इस विधानसभा भवन में उत्तराखण्ड विधानसभा के तीन दिवसीय सत्र का आयोजन भी किया गया। इसी वर्ष चमोली के विकासखण्ड गैरसैंण और जनपद अल्मोड़ा के विकासखण्ड चौखुटिया को शामिल कर ‘गैरसैंण विकास परिषद’ गठित किया गया। २०१५-२०१६ में गैरसैण को नगर पंचायत का दर्जा दिया गया। कांग्रेस और भाजपा दोनो दलों ने इस मुददे पर कभी स्पष्ट रूख नही दिखाया। विपक्ष में रहने पर तो यह दल गैरसैंण (Gairsain) को स्थायी राजधानी की मांग करते रहे लेकिन सत्ता में आने पर उनके लिये गैरसैंण गैर हो गया।
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