तो गैरसैंण (Gairsain) बन सकती है उत्तराखण्ड की ग्रीष्मकालीन राजधानी

अल्मोड़ा। ब्रदीनाथ के विधायक महेंद्र भट्ट और कर्णप्रयाग के विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी द्वारा गैरसैंण (Gairsain) को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाये जाने की मांग के बाद…

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अल्मोड़ा। ब्रदीनाथ के विधायक महेंद्र भट्ट और कर्णप्रयाग के विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी द्वारा गैरसैंण (Gairsain) को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाये जाने की मांग के बाद अब अल्मोड़ा के द्वाराहाट से विधायक महेश नेगी ने भी मुंह खोला है। उनके बयान के बाद गैरसैंण एक बार फिर चर्चाओं में है।

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गौरतलब है कि आगामी 3 मार्च से उत्तराखण्ड ​विधानसभा का बजट सत्र आयोजित होना है।

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बजट सत्र से ठीक पहले बद्रीनाथ के विधायक महेंद्र भट्ट और कर्णप्रयाग के विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी ने मुख्यमंत्री बजट सत्र में गैरसैंण (Gairsain) को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किये जाने की मांग की थी।

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इसके बाद अब एक प्रेस वार्ता में द्वाराहाट के विधायक महेश नेगी ने बजट सत्र में कुछ बड़ा होने की बात कहते हुए सियासी पारे को बढ़ा दिया है। श्री नेगी ने दावा किया कि यह सत्र ऐतिहासिक होगा। कहा कि इस सत्र में मुख्यमंत्री गैरसैंण (Gairsain) को ग्रीष्मकालीन राजधानी और गैरसैंण जिले की घोषणा कर सकते है।


कहा कि यह भाजपा के संकल्प पत्र में भी इसका उल्लेख किया गया था और गैरसैंण (Gairsain)
को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का यह सबसे उपयुक्त समय है।

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आंदोलनकारी चाहते है गैरसैंण (Gairsain) में बने स्थायी राजधानी

उत्तराखण्ड राज्य बना नही था उससे पहले ही एक सर्वमान्य राय के तौर पर आंदोलनकारियों ने गैरसैंण (Gairsain) को उत्तराखण्ड राज्य की राजधानी के तौर पर प्रस्तावित कर दिया था। पेशावर कांड के हीरो रहे वीर चंद्र सिंह गढ़वाली ने सबसे पहले गैरसैंण (Gairsain) को राजधानी बनाने की मांग उठाई थी। इसके बाद यूकेडी के डीडी पंत और बिपिन त्रिपाठी ने गैरसैंण को प्रस्तावित राज्य की राजधानी के रूप में आंदोलन में शामिल किया। बढ़ते दबाब के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 1991 में में अपर शिक्षा निदेशालय का उद्घाटन किया। इसके बाद प्रस्तावित राज्य की राजधानी गैरसैंण (Gairsain) बनाये जाने की मांग भी आंदोलन के साथ ही जोर पकड़ रही थी।

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वर्ष 1992 में उत्तराखण्ड क्रांति दल ने तो पेशावर कांड के हीरो रहे वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के नाम से बाकायदा गैरसैंण को चन्द्रनगर नाम से उत्तराखण्ड की औपचारिक राजधानी घोषित कर दिया था। 1994 में गैरसैंण (Gairsain) राजधानी को लेकर लेकर 157 दिन का क्रमिक अनशन हुआ। गैरसैंण (Gairsain) नाम तब भी चर्चाओं में आया जब 1994 में मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री काल में उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की मांग को लेकर रमाशंकर कौशिक समिति बनाई थी जिसने पूरे राज्य के लोगों के साथ रायशुमारी कर गैरसैंण को राजधानी बनाने पर जोर दिया। और राज्य बनने के बाद भी गैरसैंण (Gairsain) को स्थायी राजधानी बनाने की मांग कमजोर नही हुई ।

सन् २००० में उत्तराखण्ड महिला मोर्चा ने गैरसैंण (Gairsain) राजधानी की मांग को लेकर खबरदार रैली के माध्यम से सरकार को चेताया। निकाली। २००२ में श्रीनगर में गैरसैंण (Gairsain) को स्थायी राजधानी बनाने की मांग को लेकर लोगों ने आंदोलन किया। पूरे प्रदेश में गैरसैंण के लिये आंदोलन हुए।। और गैरसैंण राजधानी आंदोलन समिति के गठन के बाद गैरसैंण (Gairsain) आंदोलन जोर पकड़ने लगा। सरकार ने इसके बाद जस्टिस वीरेंद्र दीक्षित की अध्यक्षता में राजधानी के चुनाव के लिये दीक्षित आयोग गठित किया। दीक्षित आयोग ने राजधानी के लिए देहरादून, काशीपुर, रामनगर, ऋषिकेश तथा गैरसैण में और लंबे मंथन के बाद १७ अगस्त २००८ को उत्तराखण्ड विधानसभा में इसकी रिपोर्ट पेश की गई तो आंदोलनकारियों को निराशा हाथ लगी। दीक्षित आयोग ने अपनी रिपोर्ट में देहरादून और काशीपुर को राजधानी के लिए योग्य पाया। और विषम भौगोलिक परिस्थिति, भूकंपीय जोन, पानी की उपलब्धता आदि के आधार पर गैरसैंण को स्थायी राजधानी के लिये अनुपयुक्त बताया। इसके बाद से गैरसैंण (Gairsain) का स्थायी राजधानी पर दावा कमजोर पड़ने लगा।

गैरसैंण फिर 2012 में चर्चाओं में तब आया जब तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने गैरसैंण (Gairsain) में कैबिनेट बैठक आयोजित कर डाली। इसके बाद 2013 में गैरसैण (Gairsain) के जीआईसी मैदान में विधानसभा भवन का शिलान्यास करने के बार फिर गैरसैंण (Gairsain) का मुददा ​जोर पकड़ने लगा। और बाद में गैरसैंण से 14 किमी दूर भराड़ीसैंण में यह भवन मूर्त आकार लेने लगा। २०१४ में इस विधानसभा भवन में उत्तराखण्ड विधानसभा के तीन दिवसीय सत्र का आयोजन भी किया गया। इसी वर्ष चमोली के विकासखण्ड गैरसैंण और जनपद अल्मोड़ा के विकासखण्ड चौखुटिया को शामिल कर ‘गैरसैंण विकास परिषद’ गठित किया गया। २०१५-२०१६ में गैरसैण को नगर पंचायत का दर्जा दिया गया। कांग्रेस और भाजपा दोनो दलों ने इस मुददे पर कभी स्पष्ट रूख नही दिखाया। विपक्ष में रहने पर तो यह दल गैरसैंण (Gairsain) को स्थायी राजधानी की मांग करते रहे लेकिन सत्ता में आने पर उनके लिये गैरसैंण गैर हो गया।

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