RTE New Guideline : आरटीई ने एक नई गाइडलाइन जारी की है जिसके बाद यह बच्चों के लिए एक बड़ा रोड़ा बन गया है। नर्सरी में पहली कक्षा में प्रवेश के लिए अब नियम बना दिए गए हैं। प्रावधानों में बदलाव की वजह से अभिभावक काफी परेशान हो रहे हैं। इस वजह से 4 से 6 साल के बच्चे प्रवेश से वंचित रह रहे हैं।
Children Disappointed : डूंगरपुर में आरटीई को लेकर निजी विद्यालय में शिक्षा सत्र 2024- 25 की निशुल्क प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और इसकी अंतिम तिथि 29 अप्रैल है। शिक्षा निदेशालय बीकानेर की ओर से निशुल्क बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत गैर सरकारी विद्यालयों में बच्चों को निशुल्क पढ़ने के लिए जारी की गई नई गाइडलाइन से अब सैकड़ो बच्चों के सपने टूट गए हैं।
इस अधिनियम के तहत शिक्षा विभाग हर साल नई गाइडलाइन लेकर आता है। इसके तहत प्राइवेट स्कूलों में बच्चों का प्रवेश निशुल्क होता है। उन्हें आठवीं तक किसी प्रकार का कोई शुल्क नहीं देना होता है। पर शिक्षा के अधिकार नियम के तहत सरकारी विद्यालयों में निशुल्क प्रवेश प्रक्रिया में इस बार आयु सीमा बनाने की वजह से काफी बच्चे मायूस हो गए हैं।
बताया जा रहा है की आयु की गणना 31 जुलाई से तय की गई है। दरअसल आरटीई एक्ट के तहत विभाग इस साल निजी स्कूलों में केवल नर्सरी और पहली कक्षा में ही प्रवेश के आवेदन ले रहा है। नर्सरी कक्षा के लिए शिक्षा विभाग ने बच्चों की आयु सीमा तीन साल से अधिक एवं चार साल से कम तथा पहली कक्षा में प्रवेश के लिए छह साल से अधिक एवं सात साल से कम तय की है।
ऐसे में चार साल से अधिक एवं छह साल से कम आयु के बच्चों का निजी विद्यालयों में निशुल्क प्रवेश नहीं हो पाएगा।
आरटीई एक्ट के तहत 25% बच्चों का निशुल्क प्रवेश होता है यह बच्चे कमजोर व सुविधाग्रस्त होते हैं और उनकी पूरी जिम्मेदारी स्कूल उठना है। एक्ट के तहत प्रवेश मिलने पर बच्चा कक्षा 8 तक स्कूल में निशुल्क पढ़ सकता है। इसे अब कक्षा 12 तक के लिए बढ़ा दिया है।
बताया जा रहा है कि अभिभावक 29 में तक प्रवेश के लिए आवेदन के साथ दस्तावेज अपलोड कर पाएंगे राज्य स्तर पर एक ऑनलाइन लॉटरी भी निकल जाएगी।
वही अभिभावक 8 में तक ऑनलाइन रिपोर्ट करेंगे । विद्यालयों द्वारा आवेदन पत्रों की जांच 15 मई तक की जाएगी। हालांकि, निजी विद्यालयों को आरटीई का भुगतान समय पर नहीं मिलने से उन्हें आर्थिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है।
आरटीई एक्ट के तहत प्रवेश में पिछले साल तक आयु की कोई समस्या नहीं थी। सभी प्री-प्राइमरी से लेकर पहली कक्षा तक प्रवेश का विकल्प खुला था। इसके कारण तीन से लेकर छह साल तक के सभी बच्चों को आयु के अनुसार प्रवेश संभव हो पा रहा था। पर, इस साल प्री-प्राइमरी को एंट्री लेवल व पहली कक्षा में ही प्रवेश का नियम लागू होने से बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों के सामने प्रवेश का संकट गहरा गया है।
मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी डामोर रणछोड़लाल यह मसला निदेशालय स्तर का है। वहीं से समाधान हो सकता है। प्रावधानों में बदलाव होता है, तो कई बच्चों को लाभ मिलेगा।