ओपीएस की मांग को लेकर संवैधानिक मार्च में यह बोले कार्मिक

अल्मोड़ा में ओपीएस की मांग को लेकर आज संवै​धानिक मार्च के बहाने कार्मिकों ने अपनी मांगो को लेकर आंदोलन तेज करने की बात कही है।…

This was stated in the constitutional march demanding OPS.

अल्मोड़ा में ओपीएस की मांग को लेकर आज संवै​धानिक मार्च के बहाने कार्मिकों ने अपनी मांगो को लेकर आंदोलन तेज करने की बात कही है। ओपीएस को लेकर पूरे देश भर में कार्मिक आंदोलन कर रहे है। गैर भाजपा शासित कई राज्यों ने ओपीएस को लागू भी कर दिया है। इनमें कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान,छत्तीसगढ़,हिमांचल और आप शासित पंजाब जैसे राज्य शामिल है।


उत्तरा न्यूज से बात करते हुए विभिन्न कर्मचारी संगठनों के नेताओं ने ओपीएस के बारे में यह बात की।


​कर्मचारी नेता पुष्कर सिंह भैसोड़ा ने कहा कि सरकार कर्मचारियों के साथ दोहरा मापदंड अपना रही है।उन्होने कहा कि ओपीएस कर्मचारियों की बुढ़ापे की लाठी है और इसे वह लेकर रहेंगे। उन्होने कहा कि अगर सरकार को लगता है कि एनपीएस अच्छी स्कीम है तो सबसे पहले विधायिका में इसे लागू करे। कहा कि हम एकजुट रहेंगे तो सरकार को आज नही तो कल ​ओपीएस को लागू करना ही पड़ेगा।


शिक्षण गुरदीप राणा ने आरोप लगाते हुए कहा कि एनपीएस के द्वारा कार्मिकों की मेहनत को कमाई को शेयर बाजार में लुटाया जा रहा है। जबकि ओपीएस सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा की गारंटी देता है। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी महेंद्र गुसांई ने कहा कि सरकार ने कार्मिकों की मेहनत की कमाई को पूंजीपतियों के पास गिरवी रख दिया है। हमको पुरानी पैंशन से कम कुछ भी मंजूर नहीं है।


राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला मंत्री जगदीश भंडारी ने कहा कि पैंशन केंद्र का नहीं राज्य का विषय है। सरकार को इस पर तुरंत निर्णय लेना चाहिए। कार्मिकों के पैसे को शेयर बाजार के हवाले कर के सरकार उनके भविष्य के साथ खेल रही है। हम इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे।


शिक्षक नितेश कांडपाल और एनएमओपीएस अल्मोड़ा के जिला मीडिया प्रभारी नितेश कांडपाल ने कहा कि पुरानी पेंशन की व्यवस्था में मूल वेतन का आधा पैंशन के रूप में मिलता था। लेकिन नई पेंशन स्कीम में 2-4 हजार भी मुश्किल से पैंशन मिल रही है। ऐसे में कार्मिक कैसे अपना गुजारा करेंगे। सरकार को जल्दी ही पुरानी पैंशन लागू करनी चाहिए नहीं तो आंदोलन तेज किया जाएगा।