इस टीचर ने सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स की बदल दी जिंदगी, प्राइवेट स्कूल भी हो गए हैं इसके आगे फेल

राज्य पुरस्कार से सम्मानित शिक्षिका मंजू वर्मा जिस विद्यालय में काम करती हैं वह विद्यालय कहने को तो एक सरकारी स्कूल है लेकिन वह किसी…

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राज्य पुरस्कार से सम्मानित शिक्षिका मंजू वर्मा जिस विद्यालय में काम करती हैं वह विद्यालय कहने को तो एक सरकारी स्कूल है लेकिन वह किसी अंग्रेजी मीडियम स्कूल से कम नहीं है। इस स्कूल में पहले बाउंड्री तक नहीं थे लेकिन आज साइंस लैब, नक्षत्र शाला, स्मार्ट क्लास आदि सब यहां मौजूद है।

जिस तरह कुम्हार अपने मिट्टी के बर्तन को बनाने के लिए जी जान लगा देता है और उसे एक अच्छा रूप देता है वैसे ही एक शिक्षक भी बच्चों की भविष्य को बनाने के लिए हर तरह से कोशिश करता है। कुछ ऐसा ही प्रयास कर रही है यूपी के हरदोई की एक शिक्षिका। ये बच्चों को नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाने का काम कर रही हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार हर वर्ष शिक्षकों को चिन्हित करता है कि समाज सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर काम होता रहे उन्हें राज्य पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया। ऐसी एक शिक्षिका है मंजू वर्मा जिन्हें 2023 में राज्य पुरस्कार मिला। मंजू वर्मा हरदोई के सुरसा ब्लाक के गांव बरहा के उच्च प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक के पद पर तैनात हैं।

कॉन्वेंट जैसी स्कूल में सुविधाएं

राज्य पुरस्कार से सम्मानित शिक्षिका मंजू वर्मा जिस विद्यालय में है वह विद्यालय कहने को सरकारी है लेकिन यह स्कूल किसी कान्वेंट स्कूल से काम नहीं है। इस स्कूल में पहले बाउंड्री तक नहीं थे लेकिन आज यहां साइंस लैब, नक्षत्रशाला और स्मार्ट क्लासेस सब है। इस नक्षत्रशाला में हर वह चीज है जिससे बच्चों के मस्तिष्क का विकास हो  जैसे कि टेलिस्कोप, नर कंकाल सहित अन्य साइंस के इंस्ट्रूमेंट्स। यह सब शिक्षिका मंजू वर्मा ने अपने व जन सहयोग से किया है।

छात्रों के साथ समाज की महिलाओं को भी किया जागरूक

शिक्षिका मंजू वर्मा बताती हैं कि कोविड के दौरान मास्क की भारी डिमांड चल रहा थी। उस वक्त शिक्षिका मंजू ने गृह शिल्प की पढ़ाई के दौरान बच्चों  को ही नहीं, उनकी माता और अन्य महिलाओं को भी सिलाई सिखाई। शिक्षिका मंजू वर्मा इन लोगों को कपड़ा उपलब्ध कराती थी और बना हुआ मास्क लेकर लोगों को वितरित किया।