सेना को हथियारों की सप्लाई में हो सकती है देरी, एआईडीईएफ की रिपोर्ट में अंदेशा

दिल्ली। देश के आयुध कारखानों के कर्मचारियों के मान्यता प्राप्त संगठन, एआईडीईएफ, बीपीएमएस और सीडीआरए ने निगमों के कामकाज को लेकर एक विशेष रिपोर्ट तैयार…

Security departments

दिल्ली। देश के आयुध कारखानों के कर्मचारियों के मान्यता प्राप्त संगठन, एआईडीईएफ, बीपीएमएस और सीडीआरए ने निगमों के कामकाज को लेकर एक विशेष रिपोर्ट तैयार की है जिसमें बार्डर पर सेना को हथियारों की सप्लाई में देरी की आशंका जताई गई है। बताते चलें कि केंद्र सरकार ने गत वर्ष 220 साल पुराने 41 आयुध कारखानों को 7 निगमों में तब्दील कर दिया गया था।

एआईडीईएफ महासचिव सी. श्रीकुमार ने बताया कि बॉर्डर पर तैयार इंडियन आर्मी को टैंक, वर्दी एवं छोटे हथियारों की सप्लाई में देरी हो सकती है जिससे आयुध कारखानों के निगमीकरण पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। दूसरे शब्दों में कहें तो भारतीय सेना को हथियार व दूसरे उपकरण मुहैया कराने के लिए जिम्मेदार ये निगम, राष्ट्र की सुरक्षा की राह में बाधा बन सकते हैं। इसके खतरनाक परिणाम सामने आ रहे हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा के जोखिम के अलावा ये निगम, सरकारी खजाने पर भारी पड़ रहे हैं।

रक्षा क्षेत्र के तीनों मान्यता प्राप्त कर्मचारी संगठनों ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर, आयुध कारखानों के निगमीकरण के फैसले पर दोबारा से विचार कर उसे वापस लेने की मांग की है। एआईडीईएफ महासचिव के मुताबिक, 2023-24 में 50 प्रतिशत कारखानों में काम ही नहीं हैं। सरकार, आउटसोर्सिंग पॉलिसी पर चल रही है। टैंक, धनुष गन, छोटे हथियार, गोला बारूद एवं ड्रेस की सप्लाई और इनकी गुणवत्ता पर निगमीकरण का असर दिखने लगा है।

बतौर श्रीकुमार, वाइस आर्मी चीफ ने इस बाबत रक्षा मंत्री को पत्र लिखा था। उसमें निगमों का प्रदर्शन ठीक नहीं बताया गया है। सेना को समय पर माल की सप्लाई, एक चुनौती बनती जा रही है। सीएमडी, ट्रेड यूनियनों से बात नहीं कर रहा है। इन सब बातों के चलते बॉर्डर पर सेना की तैयारी प्रभावित हो सकती है।

बताया कि अब सात निगम बना दिए गए हैं। ये एक दूसरे को मदद नहीं देते। निगमीकरण का खाका तैयार करने वाले ज्यादातर अफसर अब, रक्षा उत्पादन से हट गए हैं। 2023-2024 में टीसीएल के तहत लगभग सभी आयुध निर्माणियों के पास कोई वर्कलोड नहीं है। आयुध निर्माणी निगमों में उत्पादन की लागत को और ज्यादा बढ़ाने के लिए सेवानिवृत्त अधिकारियों को पुनर्रोजगार दिया जा रहा है जो कि गलत है।