सोने की कीमतों में हालिया बढ़ोतरी के बाद अब इसमें बड़ी गिरावट आने की संभावना जताई जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि सोने की कीमतें लगभग 38% तक कम हो सकती हैं, जिससे यह 55,496 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकता है। यह गिरावट कब तक बनी रहेगी, इस पर बाजार की स्थितियां निर्भर करेंगी, लेकिन निकट भविष्य में सोने की कीमतों में स्थिरता आने की उम्मीद है।
सोने की कीमतें क्यों गिरेंगी?
सोने की कीमतों में गिरावट के पीछे कई कारण हैं। पहला कारण यह है कि वैश्विक स्तर पर सोने की सप्लाई बढ़ रही है। खदानों का उत्पादन बढ़ने और पुराना सोना बाजार में लौटने से सप्लाई अधिक हो गई है, जिससे कीमतों में गिरावट देखी जा सकती है। इसके अलावा, पिछले साल जहां बैंकों ने भारी मात्रा में सोना खरीदा था, वहीं अब उनकी खरीदारी में कमी आ रही है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार, 71% बैंक अब कम सोना खरीदने या उतना ही खरीदने की योजना बना रहे हैं, जिससे कीमतों पर दबाव पड़ सकता है।
क्या फिर से बढ़ सकती हैं कीमतें?
कुछ वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि कीमतों में गिरावट अस्थायी हो सकती है। बैंक ऑफ अमेरिका और गोल्डमैन सैक्स जैसी बड़ी वित्तीय संस्थाएं अब भी सोने को लेकर सकारात्मक रुख अपनाए हुए हैं। उनका अनुमान है कि आने वाले वर्षों में सोने की कीमतें फिर से बढ़ सकती हैं और यह 3,500 डॉलर प्रति औंस तक जा सकता है।
क्या करें निवेशक और खरीदार?
जो लोग गहने खरीदना चाहते हैं, उनके लिए यह एक अच्छा मौका हो सकता है, क्योंकि गिरती कीमतों का फायदा उठ
सोने की बढ़ती कीमतों ने निवेशकों को अच्छा मुनाफा दिया, लेकिन गहनों के खरीदारों के लिए यह एक महंगा सौदा साबित हुआ। अब बाजार में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं, और विशेषज्ञों का मानना है कि सोने की कीमतों में बड़ी गिरावट आ सकती है। बताया जा रहा है कि सोना 38% तक सस्ता हो सकता है, जिससे इसकी कीमत 55,496 रुपये प्रति 10 ग्राम तक आ सकती है। अगर ऐसा होता है, तो गहनों के खरीदारों को बड़ी राहत मिलेगी, जबकि निवेशकों के लिए यह एक नया अवसर साबित हो सकता है।
पिछले कुछ वर्षों में सोने की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हुई, जिससे निवेशकों को जबरदस्त लाभ मिला। लेकिन अब परिस्थितियां बदल रही हैं। बाजार में सोने की सप्लाई तेजी से बढ़ रही है, जिससे इसकी कीमतों पर दबाव पड़ सकता है। 2024 की दूसरी तिमाही में खदानों का मुनाफा बढ़ा, जिससे उत्पादन में इजाफा हुआ। इसके अलावा, पुराना सोना फिर से बाजार में आ रहा है, जिससे सप्लाई और अधिक बढ़ गई है।
इसके अलावा, बैंकों की ओर से सोने की खरीदारी में भी कमी देखने को मिल रही है। पिछले साल जहां बैंकों ने 1,045 टन सोना खरीदा था, वहीं अब वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के सर्वे के अनुसार, 71% बैंक सोने की खरीद में कटौती या स्थिरता बनाए रखने की योजना बना रहे हैं। यह भी सोने की कीमतों में गिरावट का एक महत्वपूर्ण कारण बन सकता है।
बाजार में सोने के सौदों में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई है। 2024 में सोने के सेक्टर में सौदे 32% बढ़ गए हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि बाजार में भारी हलचल है। इसके अलावा, ETF में निवेश भी तेजी से बढ़ रहा है, जो आमतौर पर कीमतों में गिरावट के पहले देखा जाता है। हालांकि, कुछ वैश्विक वित्तीय संस्थान अभी भी सोने को लेकर सकारात्मक हैं। बैंक ऑफ अमेरिका का अनुमान है कि अगले दो वर्षों में सोना 3,500 डॉलर प्रति औंस तक जा सकता है, जबकि गोल्डमैन सैक्स को उम्मीद है कि साल के अंत तक यह 3,300 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकता है।
इस स्थिति में, सोना खरीदने और निवेश करने वालों को सतर्कता बरतनी होगी। जो लोग गहने खरीदना चाहते हैं, उनके लिए यह सही समय हो सकता है, जबकि निवेशकों को सही रणनीति बनाकर आगे बढ़ने की जरूरत होगी।