Theme based home garden के माध्यम से दिखाएं अपनी रचनात्मकता

आजकल शहरों में जगह की कमी का हवाला लेकर सब पौधे लगाने से बचते नज़र आते हैं। परन्तु वास्तव में घर-मकान-दुकान के परिसर में छोटी-सी…

Theme based home garden

आजकल शहरों में जगह की कमी का हवाला लेकर सब पौधे लगाने से बचते नज़र आते हैं। परन्तु वास्तव में घर-मकान-दुकान के परिसर में छोटी-सी क्यारी बनाकर अथवा छत पर गमले रखकर अथवा दीवारों पर गमले लटकाकर कुछ विशेष पौधे विशेष तरीके से लगाकर घर को विषय-आधारित उद्यान (theme based home garden) सरलता से बनाया जा सकता है।

theme-based garden आपकी अभिनव हरित पहचान एवं दूसरों के लिये एक अद्भुत प्रेरणास्रोत सिद्ध होगा; इसी दिशा में कुछ विषय यहाँ प्रदर्शित किये जा रहे हैं जिनमें मार्गदर्शन के लिये लेखक व मार्गदर्शक सुमित कुमार उपलब्ध रहेगाः-

  1. इन्द्रधनुषी वाटिकाः बैंगनी-जामुनी-नीला-हरा-पीला-नारंगी-लाल (बैजानीहपीनाला) रंगों के पुष्पों व पत्तों वाले पौधों को इसी क्रम में लगाकर छत व दीवार को सप्तवर्णी(सतरंगी) उद्यान बनाया जा सकता है जिसमें धनुष जैसी आकृतियों में सप्तरंगी कुल सात सूखे बाँसों से सजावट भी की जा सकती है।
  2. वर्णमाला उपवन (Alphabetical park): ‘अ’ से अनार, ‘आ’ से आम….. इस प्रकार समस्त अक्षरों से आरम्भ कोई वनस्पति-प्रजाति लगाकर उसका परिचय-पटल लगाते हुए वर्णमाला उपवन स्थापित किया जा सकता है जो कि विष्व में अनोखी एवं सर्वप्रथम जीवन्त कक्षा (Alive classroom) के रूप में जाना जायेगा, अभी तो यह हालत है कि बच्चे तो क्या बड़ों से भी वर्णमाला-अनुसार वृक्षों के नाम पूछे जायें तो शीघ्र ही उनकी घोर अज्ञानता सामने आ जायेगी।

इस वर्णमाला उपवन के लिये यदि घर में मिट्टीयुक्त जगह कम लग रही हो अथवा गमले रखने के लिये छत पर स्थान कम प्रतीत हो रहा हो तो भी इसे स्थापित किया जा सकता है, मोहल्ले में यदि 10-15 परिवार भी तैयार हों तो प्रत्येक के घर 4-6 गमले पौधे परिचय-पटल सहित रखकर यह कठिन लगने वाला हरित नवाचार सम्भव बनाया जा सकता है। वर्णमाला उपवन विभिन्न भाषाओं में एवं विभिन्न विषयों में भी स्थापित किया जा सकता है, जैसे कि वानस्पतिक नाम वर्णमाला उपवन जिसमें ‘A’ से ‘Azadirecta indica’- नीम व ‘B’ से ‘Butea monosperma’- पलाष हो सकता है।

  1. सजीव मानचित्र (Live map): धरती पर भारत का मानचित्र क्यारी अथवा गड्ढों के रूप में उकेरकर अथवा गमले रखकर हर राज्य वाले स्थान में उस राज्य का राज्य-वृक्ष व राज्य-पुष्प लगाया जा सकता है तथा साथ में प्रत्येक राज्य के राज्य-पशु व राज्य-पक्षी का विवरण भी यथास्थान लिखा जाये; इस प्रकार यह विश्व का पहला सजीव मानचित्र कहलायेगा जो कि उपयोगी जानकारियों को आकर्षक कलेवर में सजीव कर देगा तथा एक अनुपम हरित संग्रहालय (Incredible green museum) भी बन जायेगा जहाँ लोग जाकर देखना, सीखना व अनुभव करना चाहेंगे कि ऐसा कैसे सम्भव हुआ।

  1. स्त्री रोग निवारक उद्यानः आसपास यदि कहीं कुछ वर्गमीटर्स का स्थान हो अथवा यदि छत पर गमले रखने की जगह हो तो वहाँ स्त्रीसूचक प्रतीक (केपिटल ‘O’ के नीचे + चिह्न) बनाकर उसमें ऐसी प्रजातियों का रोपण भूमि पर अथवा गमले में किया जा सकता है जो स्त्री रोगों के उपचार के लिये प्रयोग की जाती रही हैं, जैसे कि अर्जुनारिष्ट बनाने के लिये अर्जुन (Terminalia arjuna) पेड़।

ऊँ परिचय-पटल (Introductory board) कैसे तैयार करेंः यदि इस हेतु पर्याप्त रा​शि हो तो प्रत्येक प्रजाति के पास टिन अथवा लकड़ी के पटल पर कारीगर से विवरण लिखवाकर लगा सकते हैं तथा यदि अतिसीमित धन में यह कार्य सम्पन्न करना हो तो प्रत्येक प्रजाति के पास एक-एक पत्थर या फ़र्षी रख दें जिस पर क्रमांक 1, 2, 3…. लिखे हों तथा किसी एक स्थान पर एक ही पटल लगायें जिसमें प्रत्येक क्रमांक लिखकर उसके आगे उस प्रजाति का विवरण लिखा गया हो जो उस संख्या वाले पत्थर के पास लगायी गयी है।

अधिक जानकारी, जिज्ञासा-समाधान, प्रत्यक्ष मार्गदर्शन के लिये लेखक, मार्गदर्शक व हरित नवाचारी सुमित कुमार से 9425605432 पर निःसंकोच सम्पर्क कर सकते हैं।