उत्तराखंड के इस गांव में 100 KM की दूरी तय कर चार दिन में पहुंची पोलिंग टीम , ग्रामीणों ने मतदान का किया बहिष्कार, चौंका देगी बहिष्कार करने की वजह

पोलिंग कर्मियों की टीम 100 किलोमीटर की दूरी तय कर 4 दिन बाद बूथ तक पहुंची लेकिन उन्हें वहां से निराश होकर लौटना पड़ा। इसलिए…

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पोलिंग कर्मियों की टीम 100 किलोमीटर की दूरी तय कर 4 दिन बाद बूथ तक पहुंची लेकिन उन्हें वहां से निराश होकर लौटना पड़ा। इसलिए क्योंकि इस गांव के लोगों ने वोट देने से इंकार कर दिया और केवल 4 ही वोट पड़े।

बता दें कि गांव कनार उत्तराखंड के सबसे दूरस्थ गांवों में से एक है। जहां तक जाने के लिए सड़क भी नहीं है। पहाड़ी के बीच पत्थर वाले ऊबड़ खाबड़ रास्तों को पार करके किसी तरह पोलिंग टीम गांव तक पहुंची थी, लेकिन उनके हाथ निराशा लगी वह खाली हाथ पिथौरागढ़ लौट आई। इस गांव के लोगों ने वर्ष 2019 में भी वोटिंग का बहिष्कार किया था।

उस समय तो किसी भी ग्रामीण ने वोट नहीं दिया। वहीं इस बार फिर मतदान का बहिष्कार होने का कारण है सड़क ना होना। ग्रामीणों का कहना है कि अगर सड़क नहीं तो मतदान भी नहीं। उन्होंने कहा कि जिस दिन कोई सरकार उनके गांव तक सड़क बना देगी, उस दिन वे मतदान करेंगे।मीडिया रिपोर्ट के की माने तो इस कनार गांव में 587 वोटर्स हैं। मतदान कराने के लिए 21 लोगों की टीम गांव तक पहुंची थी, लेकिन ग्रामीणों ने पोलिंग टीम का विरोध कर दिया। यहां तक की ग्रामीणों ने पोलिंग कर्मियों से गांव से चले जाने तक को कहा।

पोलिंग टीम 16 अप्रैल को गांव के लिए निकल चुकी थी 96 किलोमीटर का दुर्गम रास्ता बस से और उसके बाद 1800 मीटर की चढ़ाई पैदल चलकर पहाड़ी रास्ते पार करके बमुश्किल गांव तक पहुंचे। रात समय एक प्राथमिक पाठशाला में रुके, जहां उन्हें खाना तक नहीं मिला था। उनके साथ सामान ढोने वाले 4 लोग भी थे। किसी तरह 4 दिन रात का सफर तय करके वे गांव पहुंचे तो ग्रामीण उन्हें देखकर भड़क गए, और उनसे गांव से जाने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि वह वोट नहीं डालेंगे, क्योंकि आजतक कोई भी सरकार उन्हें सड़क तक नहीं दिला पाई। कनार गांव के टीचर लोकसभा चुनाव 2024 के लिए नियुक्त किए गए पीठासीन अधिकारी मनोज कुमार ने ग्रामीणों के रवैये पर निराशा जताई।

उन्होंने कहा कि काफी मुश्किलो के बाद वह मतदान करने के लिए गांव पहुंचे थे। उन्होंने मतदान करने के लिए ग्रामीणों को मनाने की कोशिश भी की, लेकिन उन्होंने साफ मना कर दिया।ग्रामीण जीत सिंह ने मतदान का बहिष्कार करने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि जब तक गांव को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलेंगी, तब तक गांव का एक अहम मतदान नहीं देगा। अगर वोट चाहिए तो सरकार गांव तक सड़क बनाएं और खुद आकर वोट मांगें, वोट मिल जाएगी।