पहाड़ी से टकराया प्लेन , 72 दिनों तक बर्फीले पहाड़ों के बीच रहें इस शख्स ने डेडबॉडी खाकर बचाई अपनी जान , पढ़िए हैरान करने वाला मामला

उरुग्वे वायु सेना का एक विमान एंडीज पहाड़ों के बीच में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह घटना 13 अक्टूबर 1972 की है। इस हादसे में बचे…

n574570052170540555256931230a4dbecd3043e43306a0b84c8bfda015027061596f6a138dad63d6653ed3

उरुग्वे वायु सेना का एक विमान एंडीज पहाड़ों के बीच में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह घटना 13 अक्टूबर 1972 की है। इस हादसे में बचे लोगो को 72 दिनों तक बर्फीले पहाड़ों के बीच बिना भोजन के रहना पड़ा। अब यह हादसा इतिहास में मिरेकल ऑफ एंडीज और एंडीज फ्लाइट डिजास्टर के नाम से प्रसिद्ध है। इस दौरान बचे हुए 16 लोगों ने बमुश्किल अपनी जान बचाई थी। इतना ही नहीं बल्कि खुद जिंदा रखने किए उन लोगों ने हादसे के दौरान मारे गए लोगों को भी खा लिया।

अब हादसे में बचे 70 वर्ष के रॉबर्ट कनेसा ने हादसे के बारे में बात की है। रॉबर्ट कैनेसा ने कहा कि शवों को खाने का विकल्प आसान नहीं था। लेकिन हमारे पास कोई दूसरा ऑप्शन भी नही था। उन्होंने कहा कि अगर में उस हादसे में मर जाता तो मैं चाहता की जो लोग जिंदा है वह मेरा शरीर खाकर खुद की जान बचा लें। इस दौरान मैनें जो भी किया मुझे उस पर गर्व है। उन्होंने पूरी इस घटना जिक्र अपनी किताब में किया है। कहा कि हमने बहुत अधिक दर्द झेला है। बर्फ में बाहर गया और मार्गदर्शन के लिए भगवान से प्रार्थना की।

उन्होंने कहा इंसान का मांस खाना बहुत डरावना था। जिसको मुंह में डालना भी बहुत ही मुश्किल था लेकिन हमने मजबूरी में ऐसा किया। बता दें कि 1972 में यानी आज से 52 वर्ष पहले उरुग्वे वायु सेना का एक विमान रग्बी टीम के खिलाड़ियों और अधिकारियों उनके परिवारों और दोस्तो को लेकर एंडीज पहाड़ों के ऊपर से गुजर रहा था। पायलट को बर्फीले पहाड़ नहीं दिखे और 14 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ रहा विमान सीधे एंडीज की पहाड़ियों से टकरा गया।

इस दौरान कई लोगों की मौत हो गई। इसमें केवल 27 लोग ही जिंदा बचे। हादसे के बाद उरुग्वे सरकार तुरंत सक्रिय हो गई और उन्हें बचाने में लिए बचाव अभियान शुरू किया। विमान सफेद रंग का था जिसके चलते पहाड़ों के बीच विमान को ढूढना काफी मुश्किल तह। दुर्घटना में केवल 27 लोग बचे लेकिन धीरे इसमें से भी 11 धीरे धीरे मर गए। केवल 16 लोग ही बच पाए।

यह सभी मौत का इंतजार रहें थे ऐसे में नंदो पैराडो और राबर्ट कैनेसा मदद की तलाश में निकल पड़े। कमजोर होने के बाद भी उन्होंने बहुत साहस दिखाया। इस तरह से दोनो खिलाड़ी अपनी जान बचाने के साथ साथ अपने साथियों के लिए देवदूत बने।