अल्मोड़ा में बैठक के बहाने जुटे पंचायत प्रतिनिधि : लगातार अधिकार कम किये जाने पर जताया रोष

अल्मोड़ा। पंचायत जनाधिकार मंच उत्तराखंड की जिला अल्मोड़ा इकाई की बैठक में पंचायत प्रतिनिधियोें ने विभिन्न मुद्दों पर विचार विमर्श किया। मंच के प्रदेश संयोजक…

The panchayat representative on the excuse of meeting in Almora Fury on continuous reduction of rights

अल्मोड़ा। पंचायत जनाधिकार मंच उत्तराखंड की जिला अल्मोड़ा इकाई की बैठक में पंचायत प्रतिनिधियोें ने विभिन्न मुद्दों पर विचार विमर्श किया। मंच के प्रदेश संयोजक जोत सिंह बिष्ट, मंच के मुख्य कार्यक्रम समन्वयक मथुरादत्त जोशी की उपस्थिति में , पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मोहन सिंह मेहरा की अध्यक्षता में संपन्न हुई बैठक में पंचायत प्रतिनिधियों नें गंभीर विचार मंथन किया।


बैठक को संबोधित करते हुए मंच के प्रदेश संयोजक जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि 73वें संविधान संशोधन में पंचायतों को संवैधानिक दर्जा देने की स्वर्गीय पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी जी की मंशा को नरसिम्हा राव सरकार ने द्वारा कानून बनाकर 1993 में लागू किया। और इसके कारण ही समाज के कमजोर वर्गों, महिलाओं को प्रतिनिधित्व का मौका मिल सका। इस विधेयक में 29 विषयों को पंचायतों के अधीन करने निर्वाचित प्रतिनिधियों से निर्वाचित प्रतिनिधियों को चार्ज देने, जिला नियोजन समिति में पंचायत व निकाय के प्रतिनिधियों को निर्वाचित कर ज़िले की वार्षिक कार्ययोजना बनाकर लागू करने जैसे अनेक प्रावधान पंचायतों को मजबूत करने की मंशा से शामिल कर लिए गए। और इन प्रावधानों को लागू करने का दायित्व राज्य सरकार पर छोड़ दिया गया।
वक्ताओ ने कहा कि राज्य बनने के बाद हुए पंचायत के पहले चुनाव में निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों ने पंचायत सिस्टम की मजबूती के लिए लगातार संघर्ष किया। और इसके कुछ सकारात्मक परिणाम भी सामने आये। लेकिन विधायिका के दबाव एवं हर पांच साल में पंचायतो के परिसीमन व आरक्षण के बदलने के कारण पंचायतो में पुराने और अनुभवी लोगों के लिए चुनाव में भागीदारी के मौके कम होते चले गए। और पंचायतों को वह अधिकार नही मिल सके जिस भावना से पंचायत राज एक्ट लाग किया गया था। जिस वजह से पंचायतो की लड़ाई शिथिल होती गई। नाराजगी जताते हुए कहा कि आज पंचायतों में 29 विषय पर बात नहीं हो रही है। यही नही पंचायत प्रतिनिधियों की अनेक सुविधाओ पर रोक लगा दी गई है। पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण भी नहीं दिया जा रहा है। जिस वजह से आज सरकार, विधायिका, अधिकारी, कर्मचारी सब पंचायत के प्रतिनिधियों पर हावी हो रहे हैं। आरोप लगाया कि पंचायतो के संवैधानिक अधिकारों का हनन कर लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है।


वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड बनने के 16 साल बाद बमुश्किल से पिछली कांग्रेस सरकार ने उत्तराखंड का पंचायत राज अधिनियम बनाकर लागू किया। जिसमें उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम में मामूली संशोधन करने के बाद इसको उत्तराखंड में लागू किया गया। वही वर्तमान सरकार ने जून के महीने में आहूत विधानसभा सत्र में पंचायत राज अधिनियम 2016की 23 धाराओं में संशोधन किया जिसमे कई त्रुटियाँ होने के साथ धारा 8 में जोड़े गए 2 संशोधन न तो क़ानून सम्मत है और न ही व्यावहारिक है।


वक्ताओं ने कहा कि वह जनसख्या नियन्त्रण के विरोधी नही बल्कि पक्षधर हैं। साथ ही पंचायत के प्रतिनिधि शिक्षित हों इसके भी पक्षधर हैं। कहा कि नियम और परंपरा है कि जब कोई क़ानून बनता है उसके बाद ही लागू होता है। लेकिन उत्तराखंड में जिस किसी के 3 बच्चे होंगे वह पंचायत चुनाव लड़ने के योग्य नहीं होगा। ऐसा कानून लागू करना लोकशाही के खिलाफ है। इसलिए इन सब सवालो का सम्यक समाधान निकले, पंचायतो को उनके संवैधानिक अधिकार मिल सके पंचायते आर्थिक रूप से मजबूत हों, उत्तराखंड में “पंचायत जनाधिकार मंच” के बैनर तले इस लड़ाई को लड़ने का काम शुरू किया गया है। कहा कि मंच की कोशिश है कीशांति पूर्वक बातचीत कर सरकार से समाधान करवाया जाये। लेकिन ऐसा नहीं होने पर पंचायत प्रतिनिधि सडको से लेकर न्यायालय तक अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे।


बैठक को संबोधित करते हुए मंच के मुख्य समन्यवक मथुरा दत्त जोशी ने कहा कि पंचायत राज अधिनियम में संशोधन के माध्यम से, शासनादेशो के मध्यम से या फिर नियमों में समय समय पर किये जा रहे परिवर्तन से सरकार व अधिकारी मिलकर पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकारों पर अतिक्रमण करके पंचायतो को कमजोर कर रही है। कहा मंच की कोशिश है कि पंचायते आर्थिक रूप से स्वावलंबी हों, अधिकार संपन्न हों, पंचायत प्रतिनिधियों को 73वे संविधान संशोधन में निहित अधिकार मिल सके। और इसके लिये मंच की ओर से लम्बी लड़ाई लड़ने की कार्य योजना तैयार की जा रही है।
बैठक में जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती पार्वती मेहरा, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मोहन सिंह मेहरा, धौलादेवी के ब्लाक प्रमुख पीतांबर पाण्डे ने भी बैठक में अपने विचार व्यक्त करते हुए राज्य में पंचायतों की उपेक्षा के खिलाफ पंचायत जनाधिकार मंच के बैनर तले जारी संघर्ष में सम्मिलित होकर लड़ाई को मजबूती से लड़ने की बात कही। इस मौके पर प्रदेश संयोजक मुख्य कार्यक्रम समन्वयक और मंच के जिला संयोजक त्रिलोचन जोशी, पूर्व राज्य मंत्री बिट्टू कर्नाटक, राजेन्द्र बाराकोटी, मनोज सनवाल, दीवान सतवाल, चन्दन बिष्ट, गोपाल देव, किशोर नयाल, महेश आर्य, लाल सिंह बजेठा, पंकज वर्मा, अमरनाथ रावत, जमन बिष्ट, मोहन सिंग्वाल, अम्बीराम, राजेश अधिकारी, रमेश जोशी, दान सिंह नेगी, गोपाल गुरुरानी, बिशन राम, अनिल मेर, गोपाल खोलिया, कमल पन्त आदि ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये।
बॆठक में प्रदीप जोशी, हेम जोशी, राजेश अल्मिंया, विवेक थापा, गोविन्द बल्लभ, ,प्रकाश बिष्ट, विजय भट्ट , दानिश खान, नवाज खान, अमन अंसारी , सहित सात दर्जन से अधिक पंचायत प्रतिनिधि मॊजूद थे।


इस अवसर पर अल्मोड़ा जनपद के ब्लॉक पंचायत संयोजक भी मनोनीत किये गये। हवालबाग से अमरनाथ रावत, भॆसियाछाना से दान सिंह नेगी, ताकुला से लाल सिंह बजेठा, लमगडा़ राजेश अधिकारी, द्वाराहाट केशव दत्त कबडवाल, , धॊलादेवी से मोहन सिंग्वाल, ताडी़खेत से गोपाल देव को ब्लाक संयोजक बनाया गया। सभी ब्लाक संयोजकों का मंच के राज्य संयोजक जोत सिंह बिष्ट एंव जिला संयोजक त्रिलोचन जोशी ने माल्यार्पण कर स्वागत किया।