बुझ गया घर का इकलौता चिराग, कुलगाम में शहीद हो गए प्रदीप, 18 साल की उम्र में बन गए थे सेना में कमांडो

जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद का पूरी तरह से खात्मा करने के लिए सुरक्षाबलों का ऑपरेशन अब भी जारी है। शनिवार को आतंकियों से लड़ते हुए दो…

The only light of the house was extinguished, Pradeep was martyred in Kulgam, he had become a commando in the army at the age of 18

जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद का पूरी तरह से खात्मा करने के लिए सुरक्षाबलों का ऑपरेशन अब भी जारी है। शनिवार को आतंकियों से लड़ते हुए दो जवानों के शहीद होने के बाद रविवार को जवानों ने एनकाउंटर में 6 आतंकवादियों का ढेर किया है।

हालांकि कुलगाम में आतंकियों से लोहा लेते समय सेना के कमांडो प्रदीप नैन शहीद हो गए थे। वो जींद के नरवाना के रहने वाले थे और बहादुरी से आतंकियों के खिलाफ लड़ रहे थे।

बता दें कि प्रदीप कमांडो के रूप में साल 2015 में सेना में भर्ती हुए थे और अभी तो दो साल पहले (2022) में उनकी शादी हुई थी। आतंकियों से लड़ते वक्त शहीद होने के बाद प्रदीप का पार्थिव शरीर रविवार को उनके गांव में लाया गया। प्रदीप के परिवार में माता-पिता सहित उनकी धर्मपत्नी हैं। प्रदीप अपने मां-बाप के इकलौते बेटे थे।

वही बताया गया है कि प्रदीप की पत्नी गर्भवती हैं और जैसे ही उन्हें पति के शहीद होने की सूचना मिली तो, उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया। उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। प्रदीप के शहीद होने के बाद पूरे गांव में मातम छा गया। क्योंकि वह सिर्फ 27 वर्ष के थे, और छोटी सी उम्र में उन्होंने देश की सुरक्षा में अपना बलिदान दे दिया। प्रदीप के पड़ोसी गांव के रहने वाले रिटायर्ड सूबेदार जयभगवान के मुताबिक प्रदीप बहुत ही सरल स्वभाव का था ।

बता दें कि आतंकियों से सुरक्षाबलों की पहली मुठभेड़ मोदरगाम गांव में हुई, जहां पैरा कमांडो लांस नायक प्रदीप नैन कार्रवाई में शहीद हो गए थे। इसके बाद सुरक्षा बलों ने खुफिया जानकारी के आधार पर अभियान शुरू किया और तीन आतंकवादियों को उनके ठिकाने पर घेर लिया। जवानों ने मुठभेड़ में उनको ढेर कर दिया।

वहीं दूसरी मुठभेड़ फ्रिसल चिनिगाम गांव में हुई, जब सुरक्षा बलों को क्षेत्र में संभावित लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों के बारे में सूचना मिली। इस ऑपरेशन के दौरान फर्स्ट राष्ट्रीय राइफल्स के हवलदार राज कुमार शहीद हो गए।