सरकारी अस्पताल उन लोगों के लिए है जो पैसों के अभाव में अपना इलाज किसी अच्छे प्राइवेट अस्पताल से नहीं करा पाते हैं। सरकारी अस्पताल ही उनकी आखिरी उम्मीद होते हैं। सरकार ने इन अस्पतालों में गरीब लोगों के लिए बेहतर इलाज की व्यवस्था भी कर रखी है लेकिन कर्मचारियों की वजह से यह अस्पताल अपनी अच्छी इमेज बनाने में असफल रहे हैं।
एक बार फिर बस्ती के जिला महिला अस्पताल से ऐसा ही एक लापरवाही का मामला सामने आ रहा है। बताया जा रहा है कि कल देर रात जिला अस्पताल में काफी हड़कंप मच गया। अस्पताल में भर्ती 40 महिलाओं को रात में आकर एक नर्स ने इंजेक्शन लगाया था। इसके थोड़ी ही देर बाद सब की हालत खराब होने लगी। थोड़ी ही देर में वहां हंगामा मच गया।
हालात ऐसे हो गए कि परिजनों ने अपने मरीजों को प्राइवेट अस्पताल में ट्रांसफर कर दिया। ढाई घंटे तक अस्पताल में जो माहौल था, उसने सबकी हालत खराब कर दी। किसी तरह सबकी जान बचाई गई।
बताया जा रहा है कि शाम तक वार्ड में भर्ती सभी महिलाएं एकदम ठीक थी। इसके बाद देर रात एक नर्स ने सभी को धड़ाधड़ 40 इंजेक्शन लगा दिए। इंजेक्शन लगाने के बाद एक-एक करके सारी महिलाओं को चक्कर आने लगा। देखते ही देखते सबकी हालत खराब हो गई।इसके बाद अस्पताल में चीख-पुकार मच गई।
परिजनों ने भी बवाल करना शुरू कर दिया। करीब ढाई घंटे तक मरीज दर्द से तड़पते रहे। ऐसी स्थिति में डॉक्टर भी मदद करने नहीं आए। तब कई परिजनों ने मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में शिफ्ट कर दिया। अस्पताल में हुए इस हंगामा के बाद सरकारी महकमे में भी काफी हलचल मच गई है।
घटना की सारी जानकारी मिलने के बाद खुद डीएम रात में अस्पताल पहुंचे और उन्होंने मरीजों का हाल-चाल पूछा। किसी तरह ढाई घंटे की कड़ी मेहनत के बाद मरीज की जान बचाई गई। डर की वजह से कई तो पहले ही प्राइवेट अस्पताल में शिफ्ट हो गए। अब इस घटना के जांच के आदेश दिए जा रहे हैं। पता किया जा रहा है कि आखिर इंजेक्शन के आदेश किसने दिए। पता किया जा रहा है कि इंजेक्शन में ऐसा क्या था जिसकी वजह से 40 महिलाओं की जान जाते-जाते बची।