शोक का सफर बना मातम: भाई के निधन पर जा रही शिक्षिका की सड़क दुर्घटना में मौत, कार के परखच्चे उड़े, पांच अस्पताल में भर्ती

पिथौरागढ़ की एक शिक्षिका, जो अपने भाई के निधन पर पति और अन्य परिजनों के साथ मुरादाबाद जा रही थीं, एक दर्दनाक सड़क दुर्घटना में…

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पिथौरागढ़ की एक शिक्षिका, जो अपने भाई के निधन पर पति और अन्य परिजनों के साथ मुरादाबाद जा रही थीं, एक दर्दनाक सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवा बैठीं। यह हादसा एनएच-74 पर शंकरफार्म के पास हुआ, जहां स्कॉर्पियो अनियंत्रित होकर पहले एक पीपल के पेड़ से टकराई और फिर उछलकर नहर में जा गिरी। वाहन के परखच्चे उड़ गए और उसमें सवार पांच अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। स्थानीय लोगों और पुलिस की तत्परता से घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें हल्द्वानी रेफर कर दिया गया।

पिथौरागढ़ के धनौड़ा निवासी 40 वर्षीय बबीता अपने पति विजेंद्र पटियाल के साथ अपने भाई के निधन के बाद मुरादाबाद जाने के लिए शुक्रवार तड़के स्कॉर्पियो में रवाना हुई थीं। वाहन को विजेंद्र चला रहे थे और उनके साथ परिवार के चार अन्य सदस्य भी थे। सुबह करीब साढ़े नौ बजे किच्छा के शंकरफार्म क्षेत्र में वाहन अनियंत्रित हो गया और दुर्घटनाग्रस्त होकर नहर में पलट गया। धमाके की आवाज सुनकर आसपास के लोग मौके पर पहुंचे और तत्काल बचाव कार्य शुरू कर दिया।

स्थानीय युवकों ने बहादुरी दिखाते हुए क्षतिग्रस्त वाहन के दरवाजे तोड़कर घायलों को बाहर निकाला। हादसे के बाद जब वे नहर में उतरे तो उन्होंने देखा कि बबीता पानी में बह रही थीं। उन्हें तुरंत बाहर निकाला गया, लेकिन डॉक्टरों ने जांच के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया। दुर्घटना में विजेंद्र समेत अशोक शाह, भुवन चंद्र, उनकी पत्नी चंद्रकला और मोहन चौसारी गंभीर रूप से घायल हो गए।

हादसे की खबर मिलते ही विधायक तिलक राज बेहड़ घटनास्थल पर पहुंचे और गहरी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने घायलों को बचाने में मदद करने वाले युवाओं की सराहना की और कहा कि यदि यह हादसा रात में हुआ होता, तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती थी।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, स्कॉर्पियो चालक को संभवतः झपकी आ गई थी, जिससे यह भीषण हादसा हुआ। वाहन की तेज रफ्तार और टक्कर की तीव्रता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दुर्घटना के दौरान कार के दोनों एयरबैग खुल गए थे। घटनास्थल पर वाहन के टुकड़े बिखरे मिले। बताया जा रहा है कि विजेंद्र एक निजी स्कूल में अकाउंट का काम देखते हैं, जबकि उनकी पत्नी बबीता उसी विद्यालय में शिक्षिका थीं।