Haldwani Flood: कलसिया की बाढ़ के पानी ने नाले के किनारे रहने वाले 50 परिवारों का चूल्हा ही बुझा दिया। बताया जा रहा है कि यहां लोग भूखे प्यासे हैं और अपने घरों की सफाई कर रहे हैं। बच्चे भी अपने माता-पिता के साथ काम कर रहे हैं। इस आपदा का दर्द उनकी आंखों से छलक रहा है।
नाले के किनारे रहने वाले बाली व राधा देवी का कहना है कि गुरुवार की रात में परिवार के साथ घर के अंदर खाना बनाने की तैयारी कर रहे थे। इसी बीच नाला उफान पर आ गया। बाढ़ का पानी घर के अंदर घुस गया। बर्तन पानी में तैरने लगे। वह अपनी बच्चों बूढ़ों की जान बचाने के लिए भागे। उनका कहना है कि वह बेहद गरीब है। इसलिए दूसरी जगह जमीन नहीं खरीद सकते। उनके पास पैसा होता तो कहीं ओर जाकर रह लेते।
जिस मकान में 30-40 वर्षों से रहते हैं, उन्हें अब कैसे छोड़ सकते हैं। उन्होंने बताया जब पुलिस आती है तो घर खाली कर के वह चले जाते हैं। वही एक पीड़ित मोहम्मद नदीम का कहना है कि बाढ़ का पानी उनके घर की छत के ऊपर बहने लगा और मलबा अंदर भर गया।
मीना कुमार तो कहने लगीं कि जब नाले के बचाव के उपाय किए जाने चाहिए थे, तब नेता वोट मांगने में व्यस्त थे। अब उन्हें देखने तक के लिए नहीं आते हैं। एक नेता आए और आश्वासन देकर गए हैं। गुरुवार को जिन घरों में मलबा भरा। शुक्रवार को वहां चूल्हा नहीं जला। लोग की साफ-सफाई में लगे रहे। प्रशासन चाहता तो घरों में घुसे मलबा व पानी को बाहर निकालने में मदद कर सकता था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
64 वर्षीय मायाविष्ट का कहना है कि वह 50 साल से नाले से दूर रहती हैं। गुरुवार को उनके घर के अंदर भी पानी घुस गया। इससे पहले कि वह कुछ समझ पाती घर डूबने लगा। जैसे वह बाहर आए एक ड्रम बहने लगा उसे पकड़ने के चक्कर में वह भी नाले की तरफ चली गई। जैसे तैसे उन्होंने जान बचाई उनका कहना है कि पानी पिछले साल भी घर में घुस गया था और उन्होंने गुरुवार रात से कुछ नहीं खाया है। शुक्रवार की दोपहर बेटा बाजार से रोटी खरीद कर लाया।
कविता देवी का कहना है कि जिन लोगों के घरों में पानी व मलबा घुसा है, उनके कपड़े भी कीचड़ में सन चुके हैं। तन पर पहने कपड़े के भरोसे अधिकांश लोग रह रहे। स्कूली बच्चों के ड्रेस व कापी-किताब भी कीचड़ से खराब हो गए हैं।