घरवालों को आटे के पुतले का करना पड़ा अंतिम संस्कार,JCB मशीन के साथ दफन हुआ बेटा!

एक परिवार ऐसा भी है जिसकी सुबह से शाम ही नहीं हुई। पिछले 8 महीने से अंधेरे में ही उनकी जिंदगी बीत रही है। बुजुर्ग…

The family had to perform the last rites of a flour effigy, the son was buried with a JCB machine

एक परिवार ऐसा भी है जिसकी सुबह से शाम ही नहीं हुई। पिछले 8 महीने से अंधेरे में ही उनकी जिंदगी बीत रही है। बुजुर्ग पिता हो या पत्नी या छोटे-छोटे बच्चे सबको उम्मीद है कि अचानक से कोई चमत्कार होगा और राकेश घर आ जाएगा।

आखिर परिवार को जो करना पड़ा भगवान यह दिन किसी को ना दिखाएं। इस खबर को पढ़कर आपका भी दिल बैठ जाएगा।

जेसीबी ऑपरेटर राकेश यादव 35 साल के थे पिछले साल महाराष्ट्र के पालघर में एक हादसे में वह अपनी मशीन के साथ दफन हो गए थे। उनका शव भी आज तक नहीं मिला। कुछ दिनों तक तलाशी अभियान भी चलाया गया लेकिन प्रशासन को हार का सामना करना पड़ा। आखिर में हिंदू परंपरा के अनुसार घर वालों ने आटे के पुतले का अंतिम संस्कार कर दिया।

बस का ढांचा बनाया गया और चेहरे की जगह राकेश यादव की तस्वीर लगाई गई। उसे माला पहनाया गया वह करीब पांच फुट के थे। ऐसे में इतनी हाइट के बराबर आटे का एक पुतला बनाया गया। यह दृश्य देखने वाले लोगों की आंखों में आंसू नहीं रुक रहे थे। 35 साल के बेटे का इस तरह 62 साल के पिता बालचंद्र को अंतिम संस्कार करना पड़ा।

यह घटना पालघर में घटी थी और यह सारी प्रक्रिया 1600 किलोमीटर दूर यूपी के आजमगढ़ में हुई थी। रिपोर्ट के मुताबिक राकेश के पिता का कहना है कि पंडित जी ने कहा था कि उनका पार्थिव शरीर नहीं मिलेगा तो हमने राकेश की हाइट के बराबर ही एक पुतला तैयार किया जिसे आटे से बनाया गया और उसी का अंतिम संस्कार किया है।

राकेश और उनकी 8 टन वजन की खुदाई मशीन दोनों पालघर में 60 फीट गहराई में दफन हो गए थे। वहां पास ही कंक्रीट की दीवार थी जो उसके ऊपर ढह गई वहां मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी के तहत पानी की सप्लाई के प्रोजेक्ट के लिए टनल बनाई जा रही थी।

हालांकि घरवालों के लिए अब भी इंतजार खत्म नहीं होगा। प्रशासन ने हादसे के 4 महीने बाद सर्च ऑपरेशन बंद कर दिया था लेकिन अधिकारियों ने अभी तक आधिकारिक रूप से राकेश को मृत घोषित नहीं किया है। परिवार के एक सदस्य ने कहा कि हमने वसई में जब अधिकारियों से बात की तो उन्होंने कहा कि चूंकि शव नहीं मिला है इसलिए डेथ सर्टिफिकेट जारी नहीं कर सकते।

पिछले साल ही महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने परिवार को 50 लाख का चेक सौंपा था।

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