अर्थी से बार बार उठ जा रहा था मुर्दा , लोग मारने लगे झाड़ू और चप्पल

भारत में हर जाति और धर्म के लोगो की अपनी अपनी अलग अलग तरह की परंपराएं होती है। कई जगहों पर तो इतनी अजीबो गरीब…

the dead body was getting up again and again from the bier people started dying wearing brooms and slippers

भारत में हर जाति और धर्म के लोगो की अपनी अपनी अलग अलग तरह की परंपराएं होती है। कई जगहों पर तो इतनी अजीबो गरीब परंपराएं होती हैं कि उन्हें देख हैरानी होती है। ऐसी ही एक परंपरा राजस्थान के भीलवाड़ा की है, यहां एक परंपरा निभाते हुए सोमवार को शीतला सप्तमी के अवसर पर मुर्दे की सवारी निकाली गई।

यह सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे की मुर्दे की सवारी भी निकाली जाती क्या,जी हां, यह बात बिल्कुल सच है। इस मुर्दे की सवारी को देखने के लिए लोगों की भारी संख्या में भीड़ इकट्ठा हो गई। बताया गया है कि इस शहर में बरसों से यह अनोखी परंपरा चली आ रही है। इसके तहत सोमवार को घोड़े, ऊंट और बैलगाड़ी के साथ अर्थी की सवारी निकाली गई।

अर्थी पर एक युवक को जिंदा लाश बनाकर लिटाया गया। इसके बाद यात्रा में शामिल लोग ‘लाश’ को झाड़ू और चप्पल से मार रहे थे, जैसे ही उसको चोट लग रही थी वह उठकर भागने की कोशिश कर रहा था तो लोग फिर से उसे पकड़कर अर्थी पर लिटा दे रहे थे। लेकिन अंत में लोगों से बचकर ‘लाश’ भागने में कामयाब हो गया।

यहां कई वर्षो से शीतला सप्तमी पर इस परंपरा को निभाया जाता है, और इस तरह से अर्थी निकाली जाती है। लोग खूब रंग-अबीर उड़ाते है। इस यात्रा में खूब मौज मस्ती करते हैं। हंसी ठहाको के साथ यात्रा में शामिल होते है। इस अवसर पर पहले सुबह के समय मां शीतला की पूजा की जाती है और दोपहर के बाद शव यात्रा निकालते है। जिसके बाद देर शाम सभी वापस मंदिर में जाते है।