नई दिल्ली। हार्ट,किडनी और लिवरऔर फेफड़ों के ट्रांसप्लांट को लेकर मोदी सरकार ने नियमों में कई बदलाव कर दिए है। अब इसके लिए आयु सीमा मे भी बदलाव हुए हैं। अब 65 वर्ष से अधिक उम्र लोगों के अंग लेकर ट्रांसप्लांट किए जा सकेंगे। पहले यह सीमा 65
वर्ष तक के लोगों के लिए थी। अब लिवर (Liver), दिल (Heart), फेफड़े (Lungs),किडनी (Kidney), पैंक्रियाज और छोटी आंतों के ट्रांसप्लांट के लिए 65 साल से ज्यादा लोगों के अंग लेकर प्रत्यारोपित किया जा सकेगा।
क्या थी अभी तक पुरानी व्यवस्था
अभी तक जारी व्यवस्था के अनुसार अंग प्रत्यारोपण के लिए पंजीकरण केवल अपने गृह राज्य में ही कराया जा सकता था और इससे जरूरतमंद लोगों को बड़ी दिक्कतें होती थी। उम्मीद की जा रही है कि इस फैसले से ट्रांसप्लांट के लिए इंतजार कर रहे मरीजों को मदद मिलेगी। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने राज्यों द्वारा ली जाने वाली रजिस्ट्रेशन फीस को भी खत्म कर दिया है। अभी तक अलग-अलग राज्यों में यह फीस 5 से 10 हजार रुपये के बीच थी। इसके साथ ही एक बड़ा बदलाव जो किया गया है वह मूल निवास प्रमाण पत्र की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया है।
इसके साथ ही एक नया बदलाव जो किया गया है वह है मूल निवास प्रमाण पत्र (Domicile Certificate) की अनियार्वता को खत्म करना। एक राष्ट्र एक नीति के तहत मूल निवास प्रमाण पत्र की अनिवार्यता को हटा दिया है। वही मोदी सरकार ने राज्यों द्वारा प्रत्यारोपण के लिए लिए जाने वाले पंजीकरण शुल्क को भी समाप्त कर दिया है।
इस बदलाव से बरसों से सालों से अंग प्रत्यारोपण का इंतजार कर रहे लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है। अंग प्रत्यारोपण कानून में किए गए अहम बदलाव के बारे में सभी राज्यों को सूचित कर दिया गया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय एक आकंड़े की माने तो भारत में साल 2013 से लेकर 2022 तक अंग प्रत्यारोपण की संख्या में तीन गुणा बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी है। 2013 साल में 4 हजार 990 अंग प्रत्यारोपण किए गए थे तो वही यह संख्या 2022 में यह संख्या बढ़कर 15 हजार 561 तक पहुंच गयी। सबसे ज्यादा प्रत्यारोपण के मामले फेफड़े और ह्रदय के प्रत्यारोपण के है।
पिछले कई वर्षो मेे बढ़े है अंगदान करने वाले लोग
पिछले कुछ सालों से भारत में अंग दान करने वालों लोगों की संख्या में तेजी देखी गयी है। ऑर्गन इंडिया के डेटा के अनुसार भारत में अंग दान करने वालों की संख्या में बढ़ोत्तरी के साथ ही में प्रत्यारोपण में भी तेजी से आकंड़ा बढ़ रहा है। एक डेटा के अनुसार साल 2014 में भारत में 6916 लोगों में अंग प्रत्यारोपित किए गए थे तो 2021 साल में यह संख्या बढ़कर 12,259 तक पहुंच गई।
हर साल 1.8 लाख लोगों को है किडनी की जरूरत
भारत के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DGHS) की वेबसाइट पर अगर हम देखें तो आंकड़ों बताते है कि हर वर्ष लगभग 1.8 लाख लोग किडनी की बीमारी से पीड़ित होते है। तो वही केवल 6000 लोगों में ही किडनी ट्रांसप्लांट की जाती है। वही एक अनुमान के अनुसार देश में हर साल लगभग 2 लाख मरीज लिवर की खराबी या लिवर कैंसर की वजह से अपनी जान गंवा बैठते है जबकि हर साल 1500 मरीजों के ही लिवर ट्रांसप्लांट हो पाते है। अगर ह्रदय रोगियों का डेटा देखें तो हर साल भारत में 50,000 लोग ह्रदय रोग से ग्रसित होते है लेकिन हर वर्ष के केवल 10 से 15 लोगों के ही दिल प्रत्यारोपित हो पाते है।