डेस्क। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने की प्रक्रिया को एक याचिका के जरिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
इस बारे में आई याचिका में अनुच्छेद 370 को हटाने के राष्ट्रपति के आदेश की अधिसूचना को संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया गया है।
दायर याचिका में कहा गया है कि अनुच्छेद 370 हटाने के लिए सरकार द्वारा किया गया संशोधन असंवैधानिक है। सरकार ने मनमाने और असंवैधानिक ढंग से कार्रवाई की है। कहा गया है कि यह जम्मू-कश्मीर की कांस्टीट्यूट असेंबली की राय के बाद किया जा सकता है।
अधिवक्ता मनोहर लाल की ओर से यह याचिका दायर की गई है।जिसमें मांग की गई है कि कोर्ट इस अधिसूचना को असंवैधानिक घोषित कर इसे रद्द करे।
यह हैं अनुच्छेद 35-ए से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
- अनुच्छेद 35-ए संविधान का वह अनुच्छेद है जो जम्मू कश्मीर विधानसभा को लेकर प्रावधान करता है कि वह राज्य में स्थायी निवासियों को पारभाषित कर सके।
- साल 1954 में 14 मई को राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था। इस आदेश के जरिए संविधान में एक नया अनुच्छेद 35 A जोड़ दिया गया। अनुच्छेद- 370 के तहत यह अधिकार दिया गया है।
- साल 1956 में जम्मू कश्मीर का संविधान बना जिसमें स्थायी नागरिकता को परिभाषित किया गया।
- जम्मू कश्मीर के संविधान के मुताबिक, स्थायी नागरिक वह व्यक्ति है जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा हो या फिर उससे पहले के 10 सालों से राज्य में रह रहा हो, और उसने वहां संपत्ति हासिल की हो।
यह है आर्टिकल 35ए की जरूरी बातें
- संविधान में जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा
- 1954 के राष्ट्रपति के आदेश से ये संविधान में जोड़ा गया
- इसके तहत राज्य के स्थायी निवासियों की पहचान
- जम्मू-कश्मीर में बाहरी लोग संपत्ति नहीं ख़रीद सकते
(मीडिया सोर्स से संकलित)