20 फीसदी से अधिक शिक्षकों के रिक्त पद वाले संस्थान की संबद्धता व ग्रांट समाप्त हो, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तराखंड के प्रतिनिधि मंडल ने भेजा 25 सूत्रीय मांग पत्र

डेस्क। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के आहृवान पर राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तराखंड के प्रतिनिधि मंडल की ओर से 25 सूत्रीय मांगपत्र कुलपति के माध्यम…

डेस्क। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के आहृवान पर राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तराखंड के प्रतिनिधि मंडल की ओर से 25 सूत्रीय मांगपत्र कुलपति के माध्यम से प्रधानमंत्री, मानव संसाधन विकास मंत्री, मुख्यमंत्री तथा उच्च शिक्षा मंत्री को भेजा। प्रतिनिधि मंडल ने शिक्षकों के हित को देखते हुए मांग पत्र पर शीघ्र सकारात्मक निर्णय लेने की मांग की।
मांग पत्र में प्रमुख रूप से यूजीसी के रेगुलेशन 2018 को तय सीमा में प्रभावी क्रियान्वयन उच्च शिक्षा के मानदंडों में समानता लाने, ​नवीन पेंशन योजना के स्थान पर पुरानी पेंशन बहाल किये जाने, शिक्षकों का चयन एवं नियुक्ति स्थायी आधार पर करने, 20 फीसदी से ज्यादा शिक्षकों के पद रिक्त वाले संस्थान की संबद्धता और ग्रांट समाप्त​ किये जाने, संविदा भर्ती रोक लगाये जाने तथा वर्तमान में संविदा में तैनात शिक्षकों को स्थायी किये जाने, शिक्षकों कि प्रोफेशनल ट्रेनिंग नियमित और व्यवस्थित तरीके से किये जाने, शिक्षक छात्र अनुपात का अनुपालन किया जाने, स्वतंत्र स्वायत्त नियामक आयोग उच्च शिक्षा के लिए गठित करने, केन्द्र सरकार द्वारा 10 प्रतिशत और प्रदेश सरकार द्वारा 30 प्रतिशत जीडीपी का बजट में शिक्षा पर खर्च किये जाने, शिक्षा का व्यवसायीकरण बंद किया जाने समेत 25 सूत्रीय मांगपत्र सौंपा। ज्ञापन सौंपने वालों में प्रतिनिधि मंडल में प्रदेश अध्यक्ष प्रो विजय पाण्डेय, कुमायूं विवि इकाई के अध्यक्ष प्रो एनडी कांडपाल, प्रो एचसी जोशी, प्रो वीडीएस नेगी, प्रो अतुल जोशी, प्रो अजय अरोड़ा, प्रो एलएम जोशी एवं प्रदेश संयोजक डॉ हरनाम सिंह मौजूद थे।