बाबा तरसेम सिंह के हत्यारे का आतंकी कनेक्शन, क्यों 33 साल पुराने मामले की हो रही चर्चा?

बाबा तरसेम सिंह की हत्या मामले में उजागर हुए आतंकी कनेक्शन ने सार्वजनिक ध्यान को आकर्षित किया है, तो चर्चा का केन्द्र वह 33 साल…

बाबा तरसेम सिंह की हत्या मामले में उजागर हुए आतंकी कनेक्शन ने सार्वजनिक ध्यान को आकर्षित किया है, तो चर्चा का केन्द्र वह 33 साल पहले के मामले पर पड़ गया है जो आज भी गहरे रहते हैं। एक अमरजीत सिंह, जो बाबा तरसेम के हत्यारे फरार हैं, आतंकवादी गतिविधियों में भी संलग्न दिखाई दे रहे हैं।

बाबा तरसेम सिंह की हत्या मामले में पुलिस ने एक समूह के चार लोगों को गिरफ्तार किया था। लेकिन मुख्य आरोपी सर्वजीत सिंह और अमरजीत सिंह अभी भी पुलिस के हाथ से बचे हुए हैं। अमरजीत सिंह के संदर्भ में उसके आतंकी गतिविधियों का पता चला है और उसके खिलाफ अविभाजित यूपी के समय बिलासपुर थाने में वर्ष 1991 में टाडा (आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम) के तहत केस दर्ज है।

उन दिनों, पंजाब में आतंकवाद के दौर में तराई क्षेत्र में भी कई आतंकवादी सक्रिय थे जिसने वहाँ तबाही मचाई थी। उस समय ऊधमसिंह नगर जिले के विभिन्न हिस्सों में आतंकवादी बम धमाकों, अपहरण, हत्याएं की घटनाओं को अंजाम दे रहे थे। चूंकि अमरजीत पर दर्ज टाडा का केस करीब 33 साल पुराना है इसलिए उस समय का टाडा मामला आज भी अनसुलझा है और ऊधमसिंह नगर पुलिस , यूपी पुलिस से टाडा के इस केस से संबंधित जानकारी जुटा रही है।

हत्या मामले में गिरफ्तार दिलबाग सिंह पहले से ही अमरजीत और सर्बजीत को जानते थे। उनकी मुलाकात जेल में हुई थी, और उनके बीच पहचान हो गई थी। इस पहचान के बाद, अमरजीत और सर्बजीत को 10 लाख रुपए की चाहत के तहत हत्या के लिए भर्ती किया जा चुका था।

पुलिस अभी भी दोनों फरार हत्यारोपियों की खोज कर रही है जिसके लिए उत्तराखंड और पंजाब के विभिन्न क्षेत्रों में छापेमारी हो रही है। पुलिस पंजाब से अमरजीत के पुत्र और कुछ अन्य लोगों को उत्तराखंड में लाकर पूछताछ भी कर रही है और जानकारी प्राप्त करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। अमरजीत के नेपाल और सर्बजीत के बांग्लादेश भागने की संभावना भी है, और पुलिस इस मामले में स्थायी दुरुपयोग की पूरी जाँच कर रही है।