अनिवार्य सेवानिवृत्ति को लेकर शिक्षकों में उबाल, जबरन सेवानिवृत्ति पर विरोध करने की दी चेतावनी, मामले को लेकर बुलाई बैठक

डेस्क। माध्यमिक शिक्षा में स्नातक वेतनक्रम में कार्यरत सहायक अध्यापकों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति को लेकर शिक्षक विरोध में उतर आए है। अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए…

डेस्क। माध्यमिक शिक्षा में स्नातक वेतनक्रम में कार्यरत सहायक अध्यापकों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति को लेकर शिक्षक विरोध में उतर आए है। अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए निर्धारित किये गए मानकों को लेकर शिक्षकों में खासी नाराजगी है। जबरन सेवानिवृत्ति कराने पर शिक्षकों व शिक्षक संगठनों ने इसका विरोध किये जाने की चेतावनी दी है।
बीते 23 अक्टूबर को अपर निदेशक कार्यालय से जारी हुए इस आदेश के बाद लगातार इसका विरोध हो रहा है। सोशल मीडिया में शिक्षक इसका जमकर विरोध कर रहे है। राजकीय शिक्षक संघ के गढ़वाल मंडल कार्यकारणी ने मामले में अपर निदेशक को ज्ञापन भेजा है। जिसमें पत्र को निरस्त करने की मांग की है। कहा कि कार्यकारणी की ओर से पूर्व में भेजे गए ज्ञापन पर कोई कार्यवाही नहीं कि गई। जिसमें पूर्णकालिक प्रधानाचार्यों की नियुक्ति, स्वीकृ​त पदों के सापेक्ष अध्यापकों की नियुक्ति, प्रधानाचार्य एवं प्रवक्ता पदों पर शत प्रतिशत पदोन्न्ति समेत कई मांगे की गई थी। वर्तमान में करीब 900 से अधिक विद्यालय प्रधानाचार्य विहीन चल रहे हैं, 1900 से अधिक प्रवक्ता के पद रिक्त है 2000 से अधिक एलटी शिक्षकों के पद रिक्त है, इन मांगों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई।
शिक्षकों ने कहा कि आए दिन विद्यालयों में पठन—पाठन को छोड़कर हर दिन कोई न कोई दिवस मनाया जा रहा है इसके अलावा मीड डे मिल से लेकर ऐसे कार्य जो शिक्षकों से नहीं कराने चाहिए वह भी कराए जा रहे है। इसके बावजूद भी शिक्षक पूरे मनोयोग से अपनी सेवाएं दे रहा है लेकिन सरकार ऐसे फैसलों से शिक्षकों का मनोबल गिराने का कार्य कर रही है जो कतई उचित नहीं है। कहा कि विद्यालयों में संसाधनों की व्यवस्था करने के बजाय सारा दोष शिक्षकों को दिया जा रहा है जो उचित नहीं है कहा कि कार्यकारणी इस फैसले का पुरजोर विरोध करती है तथा फैसले को तुरंत निरस्त करने की मांग करती है।
अनिवार्य सेवानिवृत्ति के फैसले के विरोध में कल अधिकांश जिलों में जिला कार्यकारणी की बैठक बुलाई गई है। जिसमें शिक्षक आगे रणनीति तय करेंगे।