वास्तव में एक शिक्षक की सामान्य प्रक्रिया कहलाने वाली स्थानांतरण विदाई इतनी सुर्खियां कैसे बटोर गई इसका अनुमान लगाना कठिन है। पूरे क्षेत्र में आज तक ऐसा स्वागत एक सरकारी लोक सेवक का तो नहीं हुआ है। इन तस्वीरों में स्कूली बच्चे और ग्रामीण एक युवक से लिपटकर रोते नजर आए है। यह युवक उसी स्थान के जीआईसी भंकोली उत्तरकाशी का शिक्षक है जिसका ट्रांसफर टिहरी हो गया है लेकिन गांव नहीं चाहता कि आशीष उन्हें छोड़ कर जाएं। इतनी बड़ी बात है कि आमा उस युवक को बेटा कह कर फफक रही है तो बूबू गले लगाकर सिसक रहे हैं। स्कूली बच्चों को तो चुप कराना मुश्किल हो रहा है। बाजार में हर किसी की आंखे नम हैं लेकिन सभी उज्जवल भविष्य की शुभकामना देकर विदा कर रहे हैं।
आशीष पिछले 3 सालों से इस स्कूल में बतौर सहायक अध्यापक पढ़ा रहे हैं, जब उन्होंने गांववालों को बताया कि वह प्रवक्ता बन गए हैं और उनको गांव छोड़कर जाना होगा तो पूरा गांव उनकी विदाई पर अपने आंसू नहीं रोक पाया। डंगवाल एक ऐसे शिक्षक हैं जिन्होंने अपने कामों से छात्रों और ग्रामीणों की आंखों को नम कर दिया। जानकारी के अनुसार रुद्रप्रयाग निवासी आशीष डंगवाल की तीन साल पहले राजकीय इंटर कॉलेज भंकोली में सहायक अध्यापक के रूप में तैनाती हुई थी, घर से दूर आशीष ने भंकोली गांव में ही एक कमरा किराए पर लिया। आशीष मिलनसार और व्यवहारिक व्यक्ति हैं। जिला मुख्यालय से साठ किमी तक अपडाउन करने की परंपरा के बीच एक शिक्षक गांव में रहता है यह बात भी अब काफी पुरानी सी लगती है। लेकिन आशीष न केवल गांव में रहे वरन सभी के दुख सुख में भागीदार रहे ईमानदारी से अपने पेशे से निर्वहन करते रहे। यही कारण था कि हर कोई अपने इस बेटे को विदा करते वक्त अपने आंसू नहीं रोक पाया।