पहाड़ की इस बालिका की कला को देख आश्चर्यचकित रह जाऐंगे आप, बेकार समझे जाने वाले पिरुल ये बनाती हैं आकर्षक उत्पाद,ग्रामीणों के आय अर्जन का साधन बन सकती है यह कला
उत्तरा न्यूज डेस्क— पहाड़ में प्रतिभाओं(Talents) की कमी नहीं है,यह कहावत एक बार फिर सही साबित हुई है। इस बार यह प्रतिभा निकल कर सामने आई है अल्मोड़ा नैनीताल सीमा के पास के खेरदा गांव से,कक्षा नौ में पढ़ने वाली इस गांव की इशा नाम की बालिका ने अपनी कला से सभी की सराहना पाई है अब आवश्यकता है इस बालिका के कौशल को तराशने की ताकि हस्तकला की उस्ताद इस गुड़िया का हुनर समाज के सामने आ सके।
मौना के पास खेरदा गांव की इशा नाम की यह बालिका वनाग्नि को भड़काने वाले पीरुल(pine leaf) से शासनदार हस्तकला के उत्पाद बनाती है।जिस पिरूल को लोग केवल जगलों में आग लगने का कारण माना जाता है। जिसके निस्तारण के लिए वैज्ञानिक लगातार प्रयोग कर रहे हैं उस माहौल में इशा हरे पिरूल से तरह तरह के हस्तकला(Handicraft) के उत्पाद बनाती हैं।
मामूली प्रशिक्षण लेकर यह बालिका गांव में अपने साथियों से सीख कर कलात्मक उत्पाद बना रही है। फूल रखने वाली डलिया(Flower Keeping), सजावटी टोकरी,प्रसाद की टोकरी सहित कई उत्पाद इशा हरे पिरूल से बना देती है। जो काफी आकर्षक और टिकाऊ भी हैं।
बताते चलें कि पिरूल को पहाड़ो में निष्प्रोज्य समझा जाता है। यह न चारे के काम आता है और न ही खाद के। यही नहीं गर्मियों में जगलों में आग को और तेज करने में भी सूखे पिरूल बहुत जिम्मेदार होता है। इशा सामान्य परिवार की लड़की है और कक्षा 9 में पढ़ती है जो अपने नन्हें हाथों के कमाल से पिरूल को मनचाहा स्वरूप दे देती है।
यदि इस जैसी बालिका को यदि एक उचित प्लेटफार्म मिलेगा तो यह बच्चे पीरुल से उत्पाद बनाकर यहां के लिए रोजगार का एक बहुत बड़ा माध्यम तैयार कर सकते हैं। इशा जैसे बच्चे पीरुल से उत्पाद बनाकर यहां के लिए रोजगार का एक बहुत बड़ा माध्यम तैयार कर सकते हैं यहां पर जो मंदिरों में लोग पॉलीथिन का प्रयोग करते हैं उनके स्थान पर पीरुल से प्रसाद डोकरिया बनाई जा सकती हैं वह पूरी रूप से इको फ्रेंडली(eco friendly) है साथ ही एक बहुत अच्छा रोजगार भी गांव के लोगों को देने में सहायक होगा इससे यहां का पलायन भी रुकेगा इसी तरह का कार्य और गांव में भी हो सकेगा
बच्ची की इस कला के बारे में जानने के बाद सामाजिक संस्था महिला हाट ने भी अपना हाथ बढ़ाया है। संस्था से जुड़े राजू कांडपाल ने बताया कि संस्था अपना पूरा प्रयास इस काम को आगे बढ़ाने के लिए करेगी।