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जनस्रुतियो नें माना जाता हैं कि सतयुग में ऋषि मुनियों ने कौशिक नदी के किनारे सूर्य भगवान की स्तुति की . खुश होकर सूर्य भगवान ने दिव्य तेज को वटशिला में स्थापित कर दिया. कत्यूरी राजवंश के शासन में कटारमल ने इस मंदिर की निर्माण करवाया। अन्तिम रविवार के दिन मंदिर में भव्य पूजा अर्चना की जा रही है.
पिछले कई वर्षों से पौष माह के अंतिम रविवार को भारी संख्या में अपनी मनन्त लेकर श्रद्धालु यहां पहुचते हैं और भगवान सूर्य के दर्शन कर सुख का अनुभव करते है.
रविवार की सुबह से ही यहां भगवान सूर्य के दर्शनों के लिए लोगों की लाइने लगी रही, हवन पूजन के साथ ही भजन कीर्तन व सुंदरकांड का आयोजन भी किया गया जबकि दर्शनार्थियों के लिए खीर पूड़ी का भंडाला लगाया गया था.